
AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए तनुजा झा जी को धन्यवाद करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि तनुजा झा जी का एक काव्य संग्रह ‘सुगंधा’ पिछले दिनों प्रकाशित हुआ है। तनुजा झा जी ने AuthorsWiki को साक्षात्कार के दौरान साहित्यिक सफर एवं अनुभवों को भी हमारे साथ साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को तनुजा झा जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-
AuthorsWiki : नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?
Tanuja Jha : मैं एक साधारण किंतु शिक्षित परिवार की स्त्री हूँ। मैंने बचपन से ही घर में विद्वता को सम्मान मिलते देखा है। पैतृक और मातृक दोनों पक्ष शिक्षा जगत से ही जुड़ा रहा है। मैं संत अतुलानंद कान्वेंट स्कूल, वाराणसी में अंग्रेजी की शिक्षिका हूँ।
AuthorsWiki : आपकी एक पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी देना चाहेंगें, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
Tanuja Jha : पिछले दिनों मेरी प्रथम काव्य संग्रह ‘सुगन्धा’ प्रकाशित हुईं है। इस पुस्तक के माध्यम से मैंने अपनी छिटपुट कविताओं को संग्रहित कर पाठकों के समस्त प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। ‘सुगन्धा’ के अंतर्गत मैंने सप्तकुंज में इंद्रधनुष के सात रंगों से सजे विभिन्न विषयों पर शब्दों को अलंकृत करने की चेष्टा की है। आराधना-भक्ति रस, कलरव-बालपन, वात्सल्य-मातृप्रेम, अतीत के पन्ने-ऐतिहासिक संस्मरण, अभिप्रेरण-प्रेरणादायक, चेतना-जागरूकता एवं हास्य व्यंग्य-हंसी हंसी में सत्यता को पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
Tanuja Jha : पुस्तक प्रकाशित करने की प्रेरणा मेरी विदुषी माँ से मिली है जिन्होंने मैथिली भाषा में नौ पुस्तक, एक हिन्दी में और सबसे महत्वपूर्ण अपनी आत्मकथा ‘जिनगीक पेटारी’ लिखकर बहुत सम्मान अर्जित किया है।
AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
Tanuja Jha : कविताएं तो मैंने अनगिनत लिख रखी थी। माँ की आत्मकथा के लोकार्पण में पटना गई थी, तब उन्होंने अपने स्नेहाशीष स्वरुप मुझे आदेश दिया कि अब मैं भी अपनी छिटपुट मोतियों को एकत्रित कर एक काव्य पुष्प उन्हें भेंट करूँ। जननी के आदेशानुसार मैंने रचना को तलाशने का अभियान चला दिया।उन्हें फिर विषय के अनुरूप सात भागों में बाँटा। मुझे लग रहा था मेरा बचपन फिर से लौट आया था। हर कदम पर माँ के अनुभव का सहारा लेते हुए आगे बढ़ती रही। प्राची डिजिटल पब्लिकेशन की शुक्रगुजार हूँ, जिन्होंने घर बैठे मुझे लेखिका की उपाधि प्राप्त करने का सौभाग्य दिया है। व्यस्तता के बावजूद ये संभव हो पाया है।
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AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?
Tanuja Jha : मेरी पहली सृजित रचना गुरु पर लिखी एक कविता थी, जिसे मैंने कक्षा तीन में लिखा था। वैसे तो साहित्य जगत से जुड़ना एक वंशानुगत देन है। मैंने एक बार गर्मी की छुट्टियों में मुखपोथी के माध्यम से कुछ-कुछ लिखना शुरू किया। मेरी माँ के साथ साथ मेरे विद्यालय की निदेशिका और प्रधानाचार्या ने भी मुझे लिखते रहने की सलाह दी। अपनों के प्रोत्साहन से मैं अहलादित होती गई और कलम की धारा बहती चली गई। विद्यालय की पत्रिका और दैनिक गतिविधियों पर लेखन का अतिरिक्त भार भी मुझे सौंप कर इन्होंने मेरे आत्मबल को और मजबूत कर दिया। यूं तो बचपन से ही मैं काव्यप्रेमी रही हूँ। पत्रिकाओं, समाचार पत्र आदि के माध्यम से रचना प्रकाशित होती रही है, लेकिन पुस्तक में संग्रहित कर पाठकबंधु के समस्त प्रस्तुत करते हुए मैंनेअत्यंत हर्ष की अनुभूति की है।
AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
Tanuja Jha : ‘शिशुबोध’ जिसमें अबोध बच्चा माँ से प्रकृति के विषय में जानने के लिए उत्सुक है। एक कविता के माध्यम से सूर्य चन्द्रमा, धरती, आकाश, पेड़ दिन-रात सबके महत्व पर प्रकाश डाला गया है।
AuthorsWiki : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
Tanuja Jha : जैसा कि मैंने पहले ही बताया, मेरी पहली गुरु मेरी माँ मेरी प्रेरणाश्रोत है। इसके अलावे मेरे विद्यालय की निदेशिका, प्रधानाध्यापिका, मेरे पति, मेरे बच्चे मेरे दोस्त सबने मेरी लेखनी को सराहा है और साहित्य सृजन की ओर मुझे अग्रसरित किया है।
AuthorsWiki : साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
Tanuja Jha : गिनती तो नहीं बता सकती क्योंकि मैं बचपन से ही साहित्य प्रेमी रही हूँ और विद्यालय से ही पुरस्कृत होती रही हूँ। हाँ वर्तमान में कार्यरत संस्था ने साहित्य रत्न से सम्मानित किया, मुखपोथी के माध्यम से विशिष्ट लेखनी हेतु प्रशंसा पत्र आदि प्राप्त किया है।
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AuthorsWiki : आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?
Tanuja Jha : सबसे ज्यादा तो मैंने कविताएँ लिखी है। कहा जाता है कि कविता की तुलना में कहानी लिखना आसान होता है क्योंकि कविताओं को कम शब्दों में सुनियोजित कर पंक्तिबद्ध किया जाता है।
AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
Tanuja Jha : मुश्किल तो है लेकिन जब लेखनी हमारी शौक बन जाती है तो हम अपनी अभिव्यक्ति को कलमबद्ध करने के लिए व्यस्तता से समय चुरा ही लेते हैं।
AuthorsWiki : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?
Tanuja Jha : मेरी रचना मुख्यतः माँ-बच्चों पर केंद्रित हो जाता है। पिता का साया बचपन में ही छिन गया था, इसीलिए मैं एक बेटी भी और अब दो बच्चों की माँ भी हूँ। ममता शब्द की मिठास मुझे खुद से दूर नहीं होने देती। मैं अत्यंत सरल भाषा का प्रयोग करती हूँ जो पाठकों के लिए भी सुगमता प्रदान करता है।
AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
Tanuja Jha : माँ की आत्मकथा ‘जिनगीक पेटारी’ का लोकार्पण। इस अवसर पर माँ के अदम्य साहस, तपोबल और त्याग भरे जीवन के पथ पर चलते हुए अद्भुत सफलता को अनेकों विद्वानों ने जिस अनोखे अंदाज में परिभाषित किया, वास्तव में हमारे लिए गर्वान्वित होने का वह अप्रतरिम क्षण था। माँ के मुख्यमंडल की आभा देखते बनती थी।
AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
Tanuja Jha : जी बिल्कुल, सर्वप्रथम मेरी माँ और मेरे स्वर्गवासी पिता। तत्पश्चात हिन्दी में महादेवी वर्मा, शिवानी, शेफालिका वर्मा जी, अंग्रेजी में शेक्सपियर और मैथिली में हरिमोहन झा की पुस्तकें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है।
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Tanuja Jha : वर्तमान में हिन्दी भाषा के वास्तविक स्वरुप को नजर अंदाज किया जा रहा है। अन्य भाषाओं का विस्तार अवश्य होना चाहिए लेकिन भारत की अपनी भाषा हिन्दी को किसी प्रकार तिरस्कृत नहीं होने दें यह हर भारतीय का कर्तव्य है।
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AuthorsWiki : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Tanuja Jha : जी, चित्रकला।
AuthorsWiki : क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
Tanuja Jha : मैथिली में बालसाहित्य प्रकाशित करने की योजना के साथ क्रियान्वित करने की भी तैयारी चल रही है।
AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
Tanuja Jha : नवागन्तुकों से अनुरोध है कि लिखने के साथ साथ पढ़ते रहने का भी शौक रखें तभी अनुभवी सुदृढ़ लेखनी संभव है।
AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
Tanuja Jha : बिल्कुल
AuthorsWiki : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
Tanuja Jha : किसी लेखक के लिए पाठक ही कलम की ताकत हैं और प्रशंसक ही संजीवनी बूटी हैं शुभचिंतक ही आत्मबल है जो साहित्य सृजन को प्रेरित करते हैं साहित्यिक धरोहर को जीवित रखते हैं।
लेखक की पुस्तक कैसे प्राप्त करें-
आप लेखक की पुस्तक को अपने पसंदीदा ऑनलाइन स्टोर अमेजन या फ्लिपकार्ट से मंगा सकते हैं। किताब को खरीदने के लिए लिंक नीचे दिए गए हैं।
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