वरिष्ठ साहित्यकार, समाजसेवी और शिक्षाविद् डॉ. नीरू मोहन जी से साक्षात्कार

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Interview Dr. Neeru Mohan

AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए डॉ. नीरू मोहन जी आपका धन्यवाद करते हैं। डॉ. नीरू मोहन जी एक भाषाविद्, शिक्षाविद्, प्रेरक वक्ता, साहित्यकार, समाज सेविका हैं और बाल विकास, नारी उत्थान और हिंदी भाषा उत्थान के लिए भी कार्य कर रहीं हैं। डॉ. नीरू जी को साहित्य और समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए कई प्रतिष्ठि संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। AuthorsWiki को दिए गए साक्षात्कार में डॉ. नीरू मोहन जी ने अपनी साहित्यिक सफर को साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को डॉ. नीरू मोहन जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-

AuthorsWiki : हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : मेरी पहचान परिवार के द्वारा दिया गया नाम नीरू अर्थात रोशनी। इसी रोशनी को रोशन करने का संकल्प लिया और कामयाब हुई। आज मेरी पहचान डॉ. नीरू मोहन ‘वागीश्वरी’ है जिसे अनेक संघर्षों, संकल्पों, लग्न और मेहनत से प्राप्त किया है। 1 अगस्त 1973 को दिल्ली में सनोरिया परिवार में जन्म लिया। पिता श्री विजय सनोरिया स्वभाव से कड़क, आत्मकेंद्रित और प्रेम की प्रतिमूर्ति, संयमी, सीधी एवम सरल स्वभाव की प्रतिमूर्ति पद्मा देवी के आंचल की छांव में पली बड़ी। पिछले 25 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत हूँ और लेख, आलेख, लघु-कथा, संस्मरण, छंदयुक्त और छंदमुक्त कविताएँ, दोहे, हाइकु, चोका, ताँका, रेंगा, सायली छंद, उद्धरण /अवतरण, सुविचार, कुंडलियाँ, नाटक, नुक्कड़ नाटक, भाषण, कहानी, बाल-कविता एवं कहानियां, समीक्षा, निबंध, शोधकार्य, उपन्यास इत्यादि विधाओं में लेखन कार्य भी जारी है। इसके अलावा कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर साहित्यिक पत्र पत्रिकाओं और साहित्यिक पोर्टलों में रचनाएं निरन्तर प्रकाशित होती रहती है।

AuthorsWiki : क्या आप अपनी प्रकाशित पुस्तकों के बारे में बताना चाहेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : मेरे प्रथम काव्य संग्रह जिसका विमोचन आदरणीय डॉ. रमाकांत शुक्ल जी के कर-कमलों से 6 जनवरी 2019 को सम्पन्न हुआ था। इसके अलावा मेरी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकीं हैं, जिनमें पद्मांजलि ( नारी के मनोभावों का सजीव चित्रण, काव्य संग्रह), नव प्रवर्तन ( बाल-काव्य संग्रह), बूँद-बूँद सागर ( हाइकु मञ्जूषा , काव्य संग्रह ) जापानी काव्य शैली (इंडो नेपाल अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन अगस्त 2018 में पुस्तक का विमोचन ), क्षितिज… एक अंतहीन सफ़र (सत्य घटनाओं पर आधारित 25 कहानियों का संग्रह) ई-बुक, HORIZON… An Endless Journey (अंग्रेज़ी रूपांतर), व्याकरण ‘ रस ‘ (प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु 150 महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्रह), मीठी-मीठी किलकारियां ( बाल-काव्य संग्रह ), पद्मांजलि (नारी के मनोभावों का सजीव चित्रण, काव्य संग्रह) आदि हैं। इसके अलावा 20 से अधिक सांझा काव्य संग्रहों एवं कहानी संग्रहों में सह-रचनाकार रही हूँ और 10 से अधिक रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।

AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशन के लिए विचार कैसे बना या कैसे प्रेरित हुए?

डॉ. नीरू मोहन : पहले सांझा काव्य संग्रह, कहानी, लेख संग्रहों में सहभागिता करती रही। समाचार पत्रों एवं पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं भी प्रकाशित होती रहीं और साथ ही साथ मेरे लेखन को पाठकों का प्यार मिला। अनेक मंचों पर सराहना मिली और परिवार का साथ मिला, जिसने आत्मविश्वास को और प्रबल किया और एकल मौलिक प्रकाशन की दिशा प्रदान की और बस फिर उसके बाद पीछे मुड़कर नही देखा। फिर सोच लिया कि लिखना है तो स्वतंत्र होकर, स्वतंत्र लेखन करना है।

AuthorsWiki : आपकी पसंदीदा लेखन विधि क्या है, जिसमें आप सबसे अधिक लेखन करते हैं?

डॉ. नीरू मोहन : हिंदी की सभी विधाएं मेरी प्रिय विधाएं हैं। फिर भी आपके प्रश्न का उत्तर मैं ज़रूर दूंगी। मुझे पद्य एवं गद्य दोनों में कविता, दोहा, चौपाई, कुंडलियां कहानी, संस्मरण, लघु-कथा और लेख-आलेख लिखना अति प्रिय है। जापानी काव्य शैली में मुझे हाइकु और तांका लिखना पसंद है।

AuthorsWiki : किसी भी लेखक या लेखिका के लिए पहली प्रकाशित पुस्तक बहुत ही मायने रखती है और उसके प्रकाशन का अनुभव बहुत खास होता है। क्या आप प्रथम प्रकाशन के उस अनुभव को हमारे पाठकों के बीच साझा करेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : आप बिल्कुल सही कह रहे हैं कि एक लेखक के लिए उसकी पहली प्रकाशित पुस्तक बहुत मायने रखती है। वही पुस्तक उसको आगे की दिशा भी दिखती है और उसकी कमियों को निखारने का काम भी करती है। पहला प्रकाशन ही पहला अनुभव होता है जो एक लेखक को आगे लिखने की प्रेरणा देता है और अनेक विभूतियों से भी परिचय कराता है। मेरा अनुभव भी कुछ ऐसा ही रहा जिसने मुझे जीवन में लेखन की ओर सदैव प्रवाहित किया है और मेरे लेखन को परिष्कृत किया है। मेरे लिए गर्व की अनुभूति है कि प्रोफेसर प्राचार्य डॉ रमा जी द्वारा संपादित पुस्तक “वैश्विक पटल पर हिंदी” में मेरा लेख “प्रदूषित होती हिंदी” को क्रम संख्या चार पर स्थान प्राप्त हुआ। इसी पुस्तक में अनेक शीर्ष के लेखकों के लेख भी प्रकाशित हुए थे।

AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन कब से कर रहें हैं, अब तक अर्जित उपलब्धियों की जानकारी देना चाहेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : लेखन क्षेत्र से मैं 1998 से जुड़ी हुई हूं। लेखन कार्य के लिए अनेक मंचों द्वारा सम्मानित किया गया है, जिनमें से प्रमुख सम्मान निम्न प्रकार हैं- आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, साहित्य संगम संस्थान एवं नारी संस्थान द्वारा दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, साहित्य संगम द्वारा दैनिक समीक्षा का अवसर, साहित्य संगम संस्थान द्वारा भाव भूषण सम्मान, साहित्य संगम संस्थान द्वारा वीणापाणि, वागीश्वरी सम्मान, पाठकों और साहित्यिक मंचों द्वारा ‘वागीश्वरी’ संबोधन प्राप्त, आगमन साहित्यिक संस्थान द्वारा उत्कृष्ट रचना हेतु कई प्रशस्ति पत्र अंग वस्त्र और प्रतीक चिह्न प्राप्त, आगमन साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच द्वारा आगमन राष्ट्रीय उप-महासचिव के रूप में पद प्राप्त और सम्मानित, काव्य रंगोली मातृत्व गौरव सम्मान, Anti Corruption Foundation of India की ओर से राष्ट्र गौरव सम्मान 2018 से सम्मानित ( 3 जून 2018 ), आगमन गौरव सम्मान 2018 हेतु चयनित ( 8 सितंबर 2018 ), सुपर एचिवर्स अवॉर्ड 2018 (मिशन न्यूज़ 10 जून 2018 ), ड्रीम इंडिया अवार्ड 2018 ( ऑन टाईम वर्ड मीडिया 16 जून 2018 ), नारी शक्ति गौरव अवार्ड 2018 (जयपुर 21 जून 2018), क्राउन ऑफ सब्सटेंस वीमन सेलिब्रीटीज़ 2018, विलक्षण समाज सारथी सम्मान २०१८ हेतु चयनित, मंथन संस्थान द्वारा नारी गौरव सम्मान 2018 हेतु चयनित, भारत उत्थान न्यास कानपुर एवं महिला स्नातकोत्तर विश्वविद्यालय गाजीपुर द्वारा अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित, विभिन्न विद्यालयों, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं द्वारा निर्णायक एवं मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित, वूमेन पॉवर सोसाइटी द्वारा विशिष्ठ अतिथि के रूप में आमंत्रित 16-02-2019 और सम्मानित, ह्यूमन फाउंडेशन एवम् भागीदारी जन समिति की ओर से नारी गौरव सम्मान / स्वर्ण पदक से सम्मानित। इसके अतिरिक भी अनेक सम्मान और उपलब्धियां हैं; जो स्मृति शेष हैं।

AuthorsWiki : क्या वर्तमान या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं?

डॉ. नीरू मोहन : वर्तमान में एक उपन्यास, दो साहित्यिक पुस्तकों और एक काव्य संग्रह पर काम चल रहा है। साल के अंत तक आपके समक्ष प्रस्तुत होंगी यही आशा और प्रयास है।

AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना चाहेंगें?

डॉ. नीरू मोहन : छायावादी कवि और मुंशी प्रेमचंद मेरे आदर्श रूप हैं। इन्हीं को बचपन से अपने घर में किताबों की अलमारी में पाया है। दरअसल मेरी माता जी को उपन्यास पढ़ने का बहुत शौक था वो एक दिन में एक पूरा प्रेमचंद का उपन्यास पढ़ लेती थीं। हम उस समय छोटे थे इसलिए उपन्यासों को बच्चों से छिपाकर रखा जाता था परंतु बचपन से ही इन महानुभूतियों को नज़दीक पाया और धीरे-धीरे अपनी उम्र में इन्ही की लेखनी से प्रेरणा प्राप्त की ओर लेखन में रुचि उत्पन्न हुई। क्योंकि एक अच्छा पाठक ही एक अच्छा लेखक बन सकता है इसलिए जितना पढ़ सकते हो वरिष्ठ साहित्यकारों को पढ़ो और अपनी लेखनी को परिष्कृत करो। मेरी पसंदीदा किताबें जिन्हें मैं हमेशा पढ़ना चाहूंगी वह हैं- गबन, मैला आंचल, कर्मभूमि, रंगभूमि।

AuthorsWiki : लेखन के अलावा आपके अन्य शौक क्या हैं, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

डॉ. नीरू मोहन : लेखन के अलावा मेरे अन्य शौक जिन्हें मैं अपने खाली समय में करना पसंद करती हूं- अपने बच्चों के साथ समय बिताना, घूमना और पुस्तकें पढ़ना।

AuthorsWiki : आपके जीवन की कोई ऐसी प्रेरक घटना जिसे आप हमारे पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : मेरे जीवन में एक ऐसा पल जब मुझे लगा कि मैं बिल्कुल अकेली हूं वह था मेरी मां की अंतिम सांसों की यात्रा वो यात्रा जो मेरी बाहों में से होकर गुजर रही थी। उस समय मुझे ऐसा लगा कि मेरे हाथों से मेरी ही सांसें खींची चली जा रही हैं। इतना भयंकर पल मां की सांसों का शिथिल होना और स्वयं को अकेले महसूस करना। लेकिन कहते हैं ना कि मुश्किलों से जूझकर ही संभालना सीखते हैं। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक बेटी की मां, पत्नी बहू, बहन सभी भूमिका निभाती हुई मैंने अपने आपको संभाला और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। नीरू से डॉ. नीरू मोहन वागीश्वरी तक का सफ़र तय किया और आज आपके समक्ष हूं निडर, सबल आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास से परिपूर्ण।

AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : मैं हिन्दी के लिए छोटी कविता के रूप में दो शब्द कहना चाहूंगी-

हिंदी है भावों की भाषा
हिंदी मेरे हिंद की भाषा
हिंदी का सम्मान करो
हिंदी पर अभिमान करो

इसके अलावा यह कहना चाहती हूँ कि विद्यालय स्तर पर सभी सरकारी, गैर सरकारी और अशासकीय विद्यालयों में बारहवीं तक हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से जोड़ा जाए।

AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?

डॉ. नीरू मोहन : एक सौ एक प्रतिशत। इसमें कोई संदेह नहीं। मूल से विहीन होकर अस्तित्व ही नहीं।

AuthorsWiki : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

डॉ. नीरू मोहन : पढ़ें और खूब पढ़ें सीखें फिर अच्छा लेखन करें। लेखन से जुड़ें और जोड़ें।

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