
पिछले दिनों प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा एक साझा लघुकथा संग्रह ‘अनवरत‘ प्रकाशित किया गया है, जिसका संपादन देवेन्द्र नारायण तिवारी ‘देवन’ जी द्वारा किया गया है। ‘अनवरत’ में देशभर से चुन्निदा रचनाकारों की रचनाएं शामिल हैं, जिनमें से एक लेखिका मंजुलता जी का साक्षात्कार प्रकाशित किया जा रहा है। प्रस्तुत है ‘अनवरत’ साझा लघुकथा संग्रह के एक लेखिका मंजु लता जी से साक्षात्कार-
AuthorsWiki : हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। क्या आप हमारे पाठकों को अपने शब्दों में परिचय देंगें?
Manju Lata : मेरा नाम मंजुलता है। मेरा जन्म 16 जनवरी 1979 को जोधपुर में हुआ। मैं मूलत: जोधपुर से ही हूँ और वर्तमान में जोधपुर के ही झाला मंड क्षेत्र में निवास करती हूँ। आदरणीय पिता जी का नाम बद्री सिंह चौहान व आदरणीय माताजी का नाम मुन्नी देवी है और पति श्री अनोप सिंह सांखला है। एक पुत्री कृतिका सांखला है। मैंने स्नातकोतर (हिन्दी साहित्य और शिक्षा शास्त्र) के साथ ही B. Ed. भी डिग्री अर्जित की है।
मैं 11 वर्षो से निरन्तर अध्यापन कार्य कर रही हूँ। वर्तमान में 2011 से मौलाना अबुल कलाम आजाद मुस्लिम सीनियर सेकेंडरी विद्यालय में हिन्दी व्याख्याता पद पर कार्यरत हूँ। अध्यापन कार्य करना अच्छा लगता है साथ ही विभिन्न साहित्यकारों की रचनाएँ पढ़ने का शौक है।
AuthorsWiki : आपने साझा संकलन संग्रह ‘अनवरत’ में प्रतिभाग किया है, ‘अनवरत’ के साथ अनुभव को हमारे पाठकों के साथ साझा करने चाहेंगें?
Manju Lata : साझा संकलन अनवरत में मेरा अनुभव श्रेष्ठ रहा है। संपादक महोदय देवेन तिवारी का मार्गदर्शन और योगदान भी सराहनीय है। जब अनवरत साझा संकलन की सूचना मिली तो देवेन जी से बात हुई और उनके मार्गदर्शन से रचना और परिचय प्रकाशन के लिए प्रेषित किया। अनवरत में सभी रचनाकारों की मेहनत दिख रही है। सारी लघुकथाएँ प्रेरक है। इसकी लघुकथाएँ एक से बढ़कर एक है और दिल को छूने वाली है। अनवरत की डिजाइन, सुंदर कवर पेज, सुस्पष्ट अक्षर, सुव्यवस्थित, बिना त्रुटियों के छपाई इसकी विशेषता बनी है जो सभी को पढ़ने के लिए अधीर करेगी। साथ ही नाम में भी इतना बड़ा सार है ‘अविराम’ निरंतर आगे बढ़ने वाला। मुझे तो बहुत ही अच्छी लगी।
AuthorsWiki : साहित्यिक सेवा के लिए आपको अब तक कितने सम्मान प्राप्त हुए हैं? क्या आप उनके बारे मे जानकारी देना चाहेंगें?
Manju Lata : साहित्यिक सेवा के लिए कई प्रशस्ति पत्र मिले है – कलम बोलती है साहित्य समूह द्वारा – काव्य श्री सम्मान, तमिलनाडु साहित्य संगम द्वारा – श्रेष्ठ रचनाकार, साहित्य बोध द्वारा – श्रेष्ठ रचनाकार, प्रणेता साहित्य संस्थान द्वारा – श्रेष्ठ पद्य सम्मान, साहित्यनामा द्वारा प्रशस्ति पत्र, प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा – साहित्य सृजक 2021, बेस्ट टीचर अवार्ड भी मिला है।
AuthorsWiki : क्या आपकी पूर्व में कोई पुस्तक प्रकाशित हुई है?
Manju Lata : मेरी अभी तक कोई भी पुस्तक प्रकाशित नही हुई है। भविष्य में बहुत ही जल्द ही मेरी पुस्तक मेरे हाथ में होगी। देश के प्रतिष्ठित विभिन्न समाचार पत्रों और मासिक पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ नियमित प्रकाशित हो रही है। विशेष रूप से विजय दर्पण टाइम्स, नवीन कदम, आधुनिक राजस्थान, वूमेन एक्सप्रेस, दक्षिण समाचार, इंदौर समाचार, हरियाणा प्रदीप और मासिक पत्रिकाओं में अभ्युदय, प्रखर गूँज, साहित्यनामा, जय विजय, तरंगिणी में रचनाएँ प्रकाशित हो चुकी है। साझा संकलन अनवरत है। तीन साझा संकलन अभी प्रकाशनाधीन है।
AuthorsWiki : लेखन के अलावा आप क्या व्यवसाय करते है?
Manju Lata : लेखन के अलावा मेरा व्यवसाय अध्यापन है। मैं जोधपुर के ही प्रतिष्ठित संस्थान मारवाड़ मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी द्वारा संचालित होने वाले मौलाना अबुल कलाम आजाद मुस्लिम सीनियर सेकेंडरी विद्यालय में अध्यापन कार्य करती हूँ। इस विद्यालय में सन् 2011 से निरन्तर व्याख्याता (हिन्दी )पद पर कार्यरत हूँ। मुझे बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है साथ ही उनसे घुलना मिलना अच्छा लगता है। कई बार पाठ पढ़ाते वक्त उदाहरण स्वरूप कहानी बताना भी अच्छा लगता है। लेखन कार्य शौक के लिए करती हूँ। लेखन कार्य में गद्य की रचनाएँ लिखती हूँ साथ ही पद्य में कविता भी अच्छी लिख लेती हूँ।
AuthorsWiki : आपका सबसे प्रिय लेखक / लेखिका और उनकी रचनाएँ / किताब? क्या उनके बारे में बताएंगे?
Manju Lata : मेरा विषय हिन्दी है तो मैंने अधिकतर साहित्यकारों की रचनाएँ पढ़ी है। सभी प्रतिष्ठित साहित्यकार बहुत ही उम्दा लिखते है। हालावाद कवि हरिवंश राय की कविता के शब्द दिल को छूने वाले। सुमित्रा नन्दन पन्त और जय शंकर प्रसाद जी प्रकृति के चितेरे कवियों में है। फिर भी आपके प्रश्न के उत्तर में प्रिय लेखक मुंशी प्रेमचंद जी है। इनकी कहानियो में समाज का यथार्थ होता है। जीवन की सच्चाई होती है। इनके पात्र भी आस पास के लोग ही होते है, पढ़ते वक्त को उसी में खो जाते है ऐसा लगता है यह घटना तो हमारे पास ही घटित हुई है। मानसरोवर के मैंने दो भाग पढ़े है बहुत ही प्रेरक कहानियाँ है। गोदान में समाज की सच्चाई उजागर होती है। नमक के दरोगा में किस तरह से मुंशी बंशीधर के माध्यम से सत्य की राह पर चलने को कहा है।
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Manju Lata : जैसा मैंने पहले भी बताया है कि मेरा विषय हिन्दी है तो मैं हिन्दी की पक्षधर हूँ। मेरे लिए हिन्दी भाषा ही सर्वोपरि है। ऐसा नही है कि मुझे अंग्रेजी नही आती है, अंग्रेजी में पढ़ना लिखना सब आता है पर मैं हिन्दी के प्रसार की ही बात करूँगी। वर्तमान में हिन्दी विषय के साथ बहुत ही उपेक्षित व्यवहार किया जाता है। हिन्दी की उपेक्षा करने वालों को नही पता कि हिन्दी का साहित्य कितना विशाल और समृद्ध है उतना तो किसी भी भाषा का नही है। सभी अंग्रेजी की ओर भाग रहे है। मैं तो चाहती हूँ कि सभी हिन्दी को सम्मान की नजरो से देखे हिन्दी को बढ़ावा दे। अपने बच्चों को भी हिन्दी का ज्ञान दे। हिन्दी ही हमारी राजभाषा है। हमारे देशवासी ही अपनी भाषा को छोड़ कर दूसरी भाषा को अपनाते है जैसे अपनी जननी का त्याग कर किसी और को अपनाना। माँ के बिना सारा संसार सूना है उसी प्रकार बिना हिन्दी के भारत वर्ष की कल्पना भी अधूरी है।
AuthorsWiki : आपके जीवन की कोई ऐसी प्रेरक घटना जिसे आप हमारे पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?
Manju Lata : ये घटना मेरे जीवन की वास्तविक घटना है। मैं सोचती हूँ यदि उस दिन ऐसा नही होता तो शायद मेरा जीवन चार छः बच्चों के इर्द गिर्द ही थम जाता। साधारण सी घरेलू महिला बन कर रह जाती। विवाह होने और पढ़ाई छोड़ने से जीवन थम गया था। कहा भी गया है खाली दिमाग शैतान का घर होता है तो ऐसा ही हो रहा था। उस दिन शाम के वक्त पड़ोस में रहने वाली चाची जी आई, उन्हे कोई फार्म भरवाना था। पहले सारे फार्म ऑफलाइन ही भरे जाते थे। नाम, पता, वगैरह तो भर दिया जो पूछा गया सभी सूचना भरी थी पर मैं उस दिन बहुत ही डरी थी कि कही मैं कुछ गलत तो नही लिख रही हूँ। मुझ में आत्मविश्वास की कमी लगी। मैंने यह बात किसी से नही कही। घटना बहुत ही छोटी सी है पर अंदर से उसने हिला दिया था। बस निश्चय कर लिया कि मुझे तो अब पढ़ना ही है। भविष्य में आगे फिर क्या होगा क्या पता? इसलिए जीवन में पढ़ना बहुत ही जरूरी है। हमेशा कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। अनवरत, अविराम चलते जाना चाहिए। रुक गये तो सब रुक जाएगा।
AuthorsWiki : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
Manju Lata : मेरा पाठको और प्रशंसकों को यही कहना है कि वे जीवन में हमेशा कुछ न कुछ करते रहे। चलती का नाम ही गाड़ी होता है नही तो खटारा हो जाएगे। कोई भी कार्य छोटा बड़ा नही होता है। कोई भी कार्य करें पूरी मेहनत से करें। युवा पीढ़ी के लिए संदेश है कि हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार का कार्य करें। हिन्दी भाषा को पूरे विश्व में विश्व गुरु का दर्जा दिलाए। विश्व में कोई देश हिन्दी से अछूता नही रहे। देश के बच्चे हिन्दी में ज्ञान प्राप्त कर वेदों पुराणों का अध्ययन करें साथ ही संस्कारों को ग्रहण करें। भारत को विश्व गुरु का मान लौटाए। पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण नही करें। यह गलत है कि हम अपनी संस्कृति का त्याग कर दूसरों की संस्कृति को अपना कर गौरव महसूस करते है। साथ ही आप सभी अनवरत को पढ़े इसमे सभी विषयों से संबधित प्रेरक लघु कथाओं का संग्रह है जो हमारे जीवन में बदलाव लाएगी। उन गुणों को जीवन में अपना कर अपने जीवन को सफल बनाए।
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