
AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए डॉ. पवित्र कुमार शर्मा जी को धन्यवाद करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि लेखक की काव्य संग्रह ‘कर्मा’ सहित कई पुस्तकें पिछले दिनों ही प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से प्रकाशित हुईं हैं। राजस्थान के धौलपुर जिले से डॉ. पवित्र शर्मा जी ने AuthorsWiki को साक्षात्कार के दौरान साहित्यिक सफर एवं अनुभवों को भी हमारे साथ साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को डॉ. पवित्र शर्मा जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-
AuthorsWiki : नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : मेरा नाम डॉ0 पवित्र कुमार शर्मा है। मैं राजस्थान के धौलपुर शहर का निवासी हूँ। मेरे पिता का नाम श्री रामवीर शर्मा और माँ का नाम श्रीमती सुशीला शर्मा है। मेरी जन्मतिथि 30 जून, सन, 1971 ई0 है। मैं एक स्वतंत्र लेखक और एक स्वतंत्र कवि हूँ। मैंने अब तक 1500 पुस्तकें गद्य और पद्य की लिखी हैं। इनमें से लगभग 800 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।
AuthorsWiki : आपकी कुछ पुस्तकें पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी देना चाहेंगें, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से हाल ही में प्रकाशित होने वाली मेरी पहली पुस्तक ‘कर्मा’ है। इस प्रकाशन से सबसे पहले मेरी सबसे मेरी पुस्तक ‘काव्य प्रभा’ प्रकाशित हुई है। इसमें मेरी पिछले दो वर्षों की लिखी हुई कविताएँ प्रकाशित हुई हैं। सभी कविताएँ गेयात्मक अथवा छन्दबद्ध शैली में हैं। कविताएँ तुकांत अथवा लयबद हैं। यह किताब लगभग 450 पृष्ठों की है तथा चित्रों से सुसज्जित है। यह काव्य-पुस्तक निम्न चार खण्डों में विभक्त है:-
- आबू-दर्शन
- नगर-दर्शन
- कोविड-काल
- नव-रचना
पहले खण्ड ‘आबू-दर्शन’ में इस वर्ष 2023 ई0 में की गई मेरी माउण्ट आबू की यात्रा से सम्बंधित कविताएँ हैं। दूसरे खण्ड ‘नगर-दर्शन’ में राजस्थान के पूर्वी प्रवेश द्वार धौलपुर शहर के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों के बारे में कविताओं में बतलाया गया है। तीसरे खण्ड ‘कोविड-काल’ की कविताएँ कोरोना-काल में लिखी गई कोरोना महामारी से सम्बंधित रचनाएँ हैं और चौथे खंड ‘नव-रचना’ में सन 2022 ई0 में लिखी गई अनेक कविताओं को शामिल किया गया है।
AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : हमारे मित्र प्रेम नारायण शर्मा जी ने ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन’ के बारे में बताया था। इस प्रकाशन संस्थान से उनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हीं की प्रेरणा से मैंने अपनी ‘काव्य- प्रभा’ पुस्तक ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन’ के पास प्रकाशन हेतु भेजी थी।
AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : ‘काव्य-प्रभा’ पुस्तक के प्रकाशन के लिए मैंने सन् 2022 से लेकर सन् 2023 ई तक लिखी अपनी कविताओं का चयन किया था और कविताओं के अनुरूप चित्रों को भी पुस्तक में स्थान दिया था। इसके बाद मैंने इस पुस्तक की फाइल ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन’ को प्रकाशनार्थ भेजी। प्रकाशन-संस्थान ने मेरी पुस्तक प्रकाशन के लिए स्वीकार की और बहुत ही कम समय में उन्होंने इस पुस्तक को अत्यंत सुंदर और आकर्षक ढंग से प्रकाशित करके मेरे पास भेजा।
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इस किताब का प्रकाशन का खर्चा भी बहुत कम था। पुस्तक की पी0डी0एफ0 फाइल दो बार चेकिंग के लिए मेरे पास भेजी गई, जिसमें मैंने आवश्यक सुधार किया। तत्पश्चात पुस्तक का कवर आकर्षक रूप में बनाया गया। टाइटल-कवर के दो नमूने मुझे भेजे गए थे। एक नमूना मुझे ज्यादा पसंद आया और इसी कवर-नमूने को पुस्तक के आवरण के रूप में स्थान दिया गया। इस पुस्तक के कवर-बैक की सामग्री मेरे अजीज दोस्त प्रेम नारायण शर्मा जी द्वारा भेजी गई थी। आज यह पुस्तक अमेजॉन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है
AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : मेरी पहली प्रकाशित रचना सन् 1995 ई0 में प्रकाशित मेरा ‘उपहार’ नामक कहानी संग्रह है, जिसको मेरे पिता श्री रामवीर शर्मा जी ने अपने आर्थिक व्यय से प्रकाशित कराया था। मैंने अपने किशोर-काल अर्थात 15 वर्ष की आयु से ही लिखना प्रारम्भ कर दिया था। पिछले 35 वर्षों से मैं लगातार लिखता चला रहा हूँ। सन 1998 ई0 से जयपुर के प्रकाशकों द्वारा मेरी पुस्तकें छपना आरम्भ हुई थीं। इसके बाद सन् 2000 ई0 में पहली बार दिल्ली के ‘पुस्तक महल’ नामक विश्वविख्यात प्रकाशन-संस्थान से मेरी ‘धैर्य एवं सहनशीलता’ नामक पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसे बहुत लोकप्रियता मिली। पुस्तक महल से आगे चलकर ‘खुशी के साथ कदम’ नामक मेरी एक और पुस्तक प्रकाशित हुई थी। इसके अलावा दिल्ली के लगभग 20 प्रकाशकों से मेरी सैकड़ो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। करीब दो सौ साल पुराने कश्मीरी गेट, दिल्ली स्थित प्रकाशन-संस्थान ‘आत्माराम एण्ड संस’ से मेरी लगभग 125 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
आरम्भ में मैंने कविताएँ और कहानियाँ लिखी थीं। इसके बाद प्रकाशकों की माँग पर नैतिक मूल्य तथा आत्मविश्वास आदि विषयों से सम्बंधित पुस्तकें लिखीं। अनेक नाटकों और उपन्यासों का सृजन किया। इसमें से एक नाटक तथा लगभग एक दर्जन उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। ‘आत्माराम एंड सन्स’ से निर्भया-बलात्कार- कैस पर आधारित ‘निर्भया’ नामक उपन्यास दो भागों में तथा केदारनाथ-त्रासदी से सम्बंधित ‘जय केदार’ नामक उपन्यास दो भागों में प्रकाशित हो चुका है। इन दोनों उपन्यासों की पृष्ठ संख्या लगभग एक-एक हजार है।
AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : पहली रचना ‘धैर्य एवं सहनशीलता’ पुस्तक है और दूसरी रचना ‘जीने की कला’ है। जीने की कला को एक बंगला-पाठक ने बांग्ला भाषा में भी अनूदित किया था
AuthorsWiki : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : इस सम्बंध में मेरी माँ ही मेरे लेखन- कार्य की प्रमुख प्रेरणा स्रोत रही हैं।
AuthorsWiki : साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : दो प्रमुख सम्मान इस प्रकार हैं:-
- सन् 2019 ई0 में ‘एक्सप्रेस एक्सीलेंस अवॉर्ड’
- सन् 2022 ई0 में जिला कलेक्टर धौलपुर के द्वारा गणतंत्र दिवस पर लेखक-रूप में सम्मान
AuthorsWiki : आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : मैं हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में लिखता हूँ। गद्य-विधा में कहानी, उपन्यास, नाटक, संस्मरण, यात्रा-वृतांत, एकांकी और आत्मकथा इत्यादि का लेखन-कार्य मैंने किया है। पद्य-विधा में काव्य, खंडकाव्य, महाकाव्य तथा सहस्रों फुटकर कविताएँ मैंने लिखी हैं। मेरे लिए गद्य और पद्य; दोनों ही विधाओं में लिखना आसान हो चुका है।
AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : मैं प्रात काल 6:00 बजे से 8:00 बजे तक और सायंकाल 5:00 बजे से 9:00 बजे तक लेखन-कार्य करता हूँ। इस तरह मैं 5-6 घंटे का समय नियमित रूप से अपने लेखन-कार्य को देता हूँ। ऐसा मैं कई वर्षों से करता आ रहा हूँ। जीवन के अन्य कार्यों को मैं सुबह से लेकर दोपहर तक आसानी से निपटा लेता हूँ।
AuthorsWiki : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहाँ से प्राप्त करते है?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : मुझे कविता लिखने की प्रेरणा प्रकृति से प्राप्त होती है और गद्य पुस्तक लिखने की प्रेरणा परमेश्वर परमपिता से प्राप्त होती है। इसके अलावा छोटे-छोटे जीव-जन्तुओं से, पेड़-पौधों और फल- फूलों से तथा मानवीय संवेदनाओं से भी मुझे काव्य और गद्य लिखने की प्रेरणा मिलती है।
AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : वर्ष 1993 ईस्वी में जब मैं विज्ञान स्नातकोत्तर, आगरा विश्वविद्यालय का छात्र था, तब मैंने पाश्चात्य नाटककार शेक्सपियर से प्रभावित होकर लगभग एक दर्जन नाटकों का सृजन किया था। इनमें अधिकांश नाटक 200 प्रष्ठों से भी अधिक थे। ऐसे ही ‘जाग उठा इंसान’ नामक एक बड़ा नाटक लिखते समय मैं सुबह 6 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक लेखन कार्य का परिश्रम करता था।
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एक दिन दोपहर को कॉलेज के प्रांगण में नाटक लिखते समय में प्रदूषित पानी पीने से हैजे का शिकार हुआ। उन दिनों कॉलेज की छुट्टियाँ थीं। गर्मी के दिन थे। मैं कॉलेज के पास ही खेतों में कुछ घंटे बेहोश पड़ा रहा। रात को एक प्राइवेट क्लीनिक में मुझे होश आया और मुझे पता चला की किस प्रकार कॉलेज-हॉस्टल के लड़कों ने और कॉलेज के वार्डन महोदय ने मेरी असहाय अवस्था में सहायता करके मुझे क्लिनिक तक पहुँचाया था। उन दोनों मेरे अंदर लिखने की इतनी तीव्र लग्न थी कि मैं 12 से 13 घण्टे तक आसानी से गद्य-लेखन का कार्य कर लेता था। इन सभी बातों का वर्णन मैंने अपनी आत्मकथा-पुस्तक ‘मेरा जीवन’ तथा ‘मसीजीवी’ नामक उपन्यास-पुस्तक में किया है।
AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : उपन्यास-सम्राट प्रेमचंद, कविवर जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा को मैं अपना आदर्श मानता हूँ। प्रेमचंद की ‘मानसरोवर’ कहानी- पुस्तक, उनका ‘गोदान’ उपन्यास, अज्ञेय की ‘असाध्य वीणा’, मुक्तिबोध की ‘चांद का मुंह टेढ़ा है’ पुस्तक, जयशंकर प्रसाद की ‘कामायनी’ और दिनकर जी की ‘उर्वशी’ इत्यादि काव्य पुस्तकें मुझे विशेष रुचिकर और प्रेरणादायक लगी हैं।
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : वर्तमान युग में मोबाइल और कम्प्यूटर के जरिए हिन्दी भाषा का काफी प्रचार-प्रसार हो रहा है। आज के युग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप केवल बोलकर ही अपनी बात को मोबाइल पर हिन्दी में टाइप कर सकते हैं। मैंने हिन्दी गद्य की कई पुस्तकें मोबाइल पर बोलकर लिखी हैं और वे सुन्दर रूप से प्रकाशित भी हुई हैं। इस तरह मोबाइल का आविष्कार हिन्दी लेखन कार्य और साहित्य सृजन के लिए आज के युग का बहुत बड़ा वरदान है। लेखक और कवियों को इसका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए।
मैं प्रात:काल दो घण्टे मोबाइल पर अपना लेखन-कार्य करता हूँ और शाम को 5 से रात्रि 9 बजे तक कागज और कलम के जरिए अपना लेखन-कार्य सम्पन्न करता हूँ। जिस तरह हिन्दी लेखन-कार्य मोबाइल और कम्प्यूटर के जरिए आसान हो गया है, इसी तरह हिन्दी किताबों का प्रकाशन कार्य भी आधुनिक यंत्रों के जरिए बहुत आसान हो गया है। अब केवल मशीन का बटन दबाने से ही अपने आप सारी किताब मुद्रित हो जाती है। यह आज के युग की सबसे बड़ी देन है। अब न तो लेखक को किताब लिखने की ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और न प्रकाशक को किताबों के प्रकाशन के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करने की जरूरत पड़ती है। अमेजॉन और फ्लिपकार्ट आदि डिजिटल मार्केट में किताबें सहज रूप से पाठकों के लिए उपलब्ध हो जाती हैं और पाठक मोबाइल पर ही ऑर्डर देकर अपनी पसंद की कोई भी किताब अपने घर पर मँगा सकते हैं। यह सब बीते कुछ ही वर्षों के अंदर सम्भव हो पाया है।
AuthorsWiki : साहित्य-सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : साहित्य-सृजन और कविता-लेखन के अलावा मैं प्रातःकाल एक घण्टे का समय योग- साधना के लिए देता हूँ और एक घण्टे का समय आध्यात्मिक सत्संग के लिए देता हूँ। इसके साथ ही साथ शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए मैं प्रात:काल दौड़ या रेस करता हूँ। साइकिल चलाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। संगीत में भी मेरी विशेष रूचि है।
AuthorsWiki : क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : भविष्य में अनेक सारी पुस्तकें लिखने की योजना है। मैं 1500 किताबों में लिख चुका हूँ , जिनमें से कई सौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। अभी 1000 पुस्तकें और लिखने की योजना है। ‘अवतार-मीमांसा’ नामक एक बड़ी गद्य-पुस्तक ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन’ से छप रही है और ‘माँ ‘ नामक महाकाव्य इसी महान प्रकाशन संस्थान के प्रकाशनाधीन है। जल्दी दो और किताबें मैं ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन’ पर प्रकाशन हेतु भेजने वाला हूँ।
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AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : नवीन लेखकों के अन्दर सृजन-कला की पूरी सामर्थ्य और योग्यता है। उनमें नए-नए विषयों को जानने व सिखाने की ललक है। कोई भी लेखक, साहित्यकार या कवि जब लिखना शुरू करता है, तो वह नवीन ही होता है। प्रतिदिन समय और परिस्थितियों से सीखते-सीखते वह अनुभवी होता जाता है और उसकी सृजन-कला में निखार आता जाता है। नए लेखक और कवियों को ‘प्राची डिजिटल पब्लिकेशन’ जैसे बेहतर प्रशासन-संस्थान उनकी सृजन-कला को निखारने और प्रकाशित करने का शुभ अवसर प्रदान करते हैं। नए लेखकों को पुरानी पीढ़ी के लेखकों से बहुत-सी बातें सीखनी चाहिए और उन्हें लेखन-कार्य की नई-नई चुनौतियों का भी सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : जी हाँ। मेरा जन्म सन् 1971 ई0 30 जून को हुआ था। आज मैं लगभग 52 साल का हो चुका हूँ। अभी लगभग 50 वर्ष और लिखने की मन में तमन्ना है। अगर मेरी किस्मत ने साथ दिया, तो सैकड़ों पुस्तकें अपने देश के नागरिकों के लिए और विश्व समुदाय के साहित्य प्रेमियों के लिए मैं और लिखना चाहूँगा। पन्द्रह वर्ष की आयु से मैंने लिखना आरंभ किया था। तब से लेकर आज तक मेरा लेखन-कार्य रुका नहीं है। लगभग हर दिन ही में कुछ ना कुछ लिखना आया हूँ और आगे भी लिखता रहूँगा।
AuthorsWiki : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
Dr. Pavitra Kumar Sharma : मेरा यह सभी को संदेश है कि लेखन- कार्य से ज्यादा बड़ा कोई पवित्र और श्रेष्ठ कार्य दूसरा नहीं है। किसी भी लेखक की कृति समाज के लिए एक अनमोल धरोहर होती है, जो लेखक की मृत्यु के पश्चात भी सैकड़ो-हजारों वर्षों तक संसार में कायम रहती है। वह चिरकाल तक भटके हुए लोगों को शान्ति और खुशहाली का रास्ता दिखाती रहती है; इसलिए अपने नश्वर जीवन से थोड़ा वक्त निकालकर सभी को कुछ न कुछ लिखने का प्रयत्न करना चाहिए। एक ही दिन में तो कोई लेखक या कवि नहीं बन जाता है, लेकिन अगर आप रोजाना चार लाइन, दस लाइन अथवा एक पेज लिखने की कोशिश करेंगे, तो धीरे-धीरे इस तरह थोड़ी-थोड़ी सामग्री इकट्ठा करके आप एक बड़ी पुस्तक का निर्माण कर सकते हैं। हो सकता है कि पहली पुस्तक लिखते समय कुछ कमियाँ रह जाएँ, लेकिन लिखने का क्रम लगातार चलता रहेगा, तो एक दिन आप महत्त्वपूर्ण पुस्तक लिखकर महान लेखक अवश्य बन जाएँगे। इति शुभम्।
लेखक की पुस्तक कैसे प्राप्त करें-
आप लेखक की पुस्तक को अपने पसंदीदा ऑनलाइन स्टोर अमेजन या फ्लिपकार्ट से मंगा सकते हैं। किताब को खरीदने के लिए लिंक नीचे दिए गए हैं।
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