काव्य संग्रह ‘ख्यालों की खिड़कियाँ’ के लेखक प्रभप्रीत सिंह जी से साक्षात्कार

0

AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए प्रभप्रीत सिंह जी को धन्यवाद करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि लेखक का एक काव्य संग्रह ‘ख्यालों की खिड़कियाँ’ पिछले दिनों प्रकाशित हुआ है। प्रभप्रीत सिंह जी ने AuthorsWiki को साक्षात्कार के दौरान साहित्यिक सफर एवं अनुभवों को भी हमारे साथ साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को प्रभप्रीत सिंह जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-

AuthorsWiki : नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?

Prabhpreet Singh : जी, शुक्रिया, सबसे पहले तो मै आपका सहृदय धन्यवाद करना चाहूंगा कि आपने मेरी किताब को एक मौका दिया पाठको तक पहुँचाने का। जहाँ तक परिचय की बात है तो अगर मैं साफ और सरल शब्दों में अपना परिचय दूँ तो मुझे बचपन से ही पढ़ने का शौक़ है, भले ही कोई कहानी हो, कविता या फिर कोई निबन्ध। अभी तक की जिन्दगी में मेरा ज्यादा वक्त किताबों में ही बीता है।

वर्तमान समय मे मैं एक छात्र हूँ और ख़ालसा कॉलेज, अमृतसर से शिक्षा प्राप्त कर रहा हूँ। मैं एक सिख परिवार से सम्बन्ध रखता हूँ और मेरा जन्मस्थान भी अमृतसर ही है लेकिन मेरे पिता जी फौज में थे, तो मेरा ज़्यादातर वक़्त उत्तर प्रदेश में ही बीता है, जिस कारण हिंदी भाषा में मेरी ज़्यादा रूची है। पिता जी की नौकरी के बाद अमृतसर में रहते हुए हमें 7 से 8 साल हो गये हैं और जो मेरा कविताएँ लिखने का सफर है, वो मेने आज से कुछ एक-दो साल पहले ही शुरु किया था। मुझे खुशी है कि मैं आपके प्रकाशन का हिस्सा हूँ।

AuthorsWiki : आपकी एक पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी देना चाहेंगें, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

Prabhpreet Singh : जी बिल्कुल, जैसा कि मैने कहा कि मेरी पुस्तक के लिए मैं आपका शुक्रगुज़ार हूँ। मेरी पुस्तक का नाम ‘ख्यालों की खिड़कियाँ’ है, जिसमे मैंने अपनी भावनाओं और अनुभवों को कविता में पिरोया है, जिससे पाठक काफ़ी कुछ सीख भी सकते हैं और उन्हें उन्हीं भावों को, जज़्बातों को और यादों को देखने का अलग नज़रिया मिलता है। यह एक यात्रा की तरह है, जिससे सभी पाठक ख्यालों की खिड़कियों से झाँककर इस यात्रा में खुद को खो सकते हैं और इस यात्रा का आनंद ले सकते हैं।

AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?

Prabhpreet Singh : इसके लिए आपको जानना होगा कि मैंने कैसे और क्यों शुरु किया। यह बात है साल 2019 की, जब मैं नौवीं कक्षा में था, उस वक़्त भी मैं कविताएं लिखने की कोशिश किया करता था, पर उस वक़्त मैं कुछ भी लिख पाने में हर बार असमर्थ रहता। ना ही कोई विचार आता था और ना ही मैं कुछ अच्छा लिख पाता था। इसलिए उस वक़्त मैने कविता लिखने का विचार ही छोड़ दिया। लेकिन उसके कुछ साल पश्चात जब माध्यमिक शिक्षा पूर्ण हुई तो मैं एक ऐसे मोड़ पर था, जहाँ मेरी ज़िंदगी का एक पढ़ाव ख़त्म हो रहा था और दूसरा शुरु होने वाला था। जहाँ पर मैं ज़िंदगी की एक गाडी से उतरकर दूसरी पर सवार होने वाला था, उस दौरान मेरे मन में बहुत सारे सवाल और विचार उमड़ रहे थे। उस ज़िंदगी के बारे में जो मैं पीछे छोड़ आया था और जो ज़िंदगी अब शुरु होने थी। मेरे मन में घबराहट के साथ-साथ एक नई उमंग भी थी, एक डर के साथ-साथ उत्साह भी और दिमाग अजीब कश्मकश में था तो उसी वक़्त मैने अपने ख्यालों को कागज़ पर उतारना शुरु किया।

उसके पश्चात पुस्तक प्रकाशित का विचार मुझे मेरे एक मित्र द्वारा सुझाया गया, जिसके बाद मैने अपनी पहली पुस्तक ‘बेज़ुबान लफ्ज़’ प्रकाशित करवाई जो कि ‘ब्लू रोज़ प्रकाशन’ द्वारा प्रकाशित हुई।

AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?

Prabhpreet Singh : जैसा कि मैने आपको बताया कि पहले मैं कविता लिखने की कोशिश भी करता था तो नहीं लिख पाता था, लेकिन कविता लिखना अब मेरे लिए साँस लेने जैसा है, ये मैं करता नहीं हूँ, ये अपने आप हो जाता है। इसी कारण से मेरे रचनाओं का चयन करना भी आसान हो जाता है, क्योंकि मेरी कविताएँ उन भावों और अनुभवों पर आधारित हैं जो कि हर व्यक्ति अपनी ज़िंदगी में किसी एक मोड़ पर तो अनुभव करता ही है।

अपनी पहली किताब के प्रकाशन के दौरान मेरे अंदर हमेशा ही एक बेचैनी की लहर दौड़ती रहती और मुझे डर रहता था कि कहीं मुझसे कुछ गलत ना हो जाए या फिर मैं कहीं डगमगा ना जाऊँ, लेकिन मैने खुद पर विश्वास रखा और एक एक कदम करके आगे पढ़ता गया।

अपनी दूसरी किताब ‘ ख्यालों की खिड़कियाँ’ के प्रकाशन के दौरान मुझमे पहले जैसी बेचैनी तो थी लेकिन पहले ही दिन ‘तनीशा पब्लिकेशन’ द्वारा मुझे आश्वासन दिया गया कि मुझे चिंता करने कि कोई ज़रूरत नही है और उन्होंने आखिर तक मेरे विश्वास को बनाए रखा।

यह भी पढ़ें – 100% Royalty क्या है? Royalty किस प्रकार निर्धारित होती है?

AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?

Prabhpreet Singh : मेरे एक शिक्षक हैं, जिन्होंने मुझे ये बताया था कि जैसे जैसे एक कवि या लेखक बूढ़ा होता है, उसकी रचना में और ज़्यादा निखार आता है। साफ शब्दों में कह सकते हैं कि जब एक कवि अपनी नई कविताएँ लिखता है तो उसे अपनी पुरानी कविताएँ रद्दी समान लगने लगती हैं। ठीक उसी तरह मुझे अपनी पहली रचना इतनी कुछ खास तो नहीं लगती लेकिन फिर भी मैं उसकी कुछ पंक्तियाँ आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहूँगा जो कि कुछ इस तरह है:-

“वो भी क्या पल थे,
जो कभी हाथों में ना आ पाए।
रेत की तरह बह गये पल में,
पर कभी दिल से न जा पाए।

उसी वक़्त में चैन की नींद सोना चाहता हूँ मैं,
हाँ, आज फिर रोना चाहता हूँ मैं।”

यह मेरी पहली सृजित रचना थी, और इसके बाद मैं एक के बाद एक कविताएँ लिखता चला गया और यूँ ही लिखते लिखते मैं साहित्य जगत का एक हिस्सा बन गया।

AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?

Prabhpreet Singh : मेरी किताब ‘बेज़ुबान लफ्ज़’ की जो पहली कविता है जिसका शीर्षक है ‘आज का ये दिन’ जो कि कुछ इस प्रकार है:-

“कइयों की मुश्किलें बढ़ाता,
तो कइयों के दिल में नई उम्मीद जगाता,
आज का ये दिन।

कइयों ने साँसें गिनते हुए गुज़ारा,
तो कइयों ने जी भर के जी लिया सारा,
आज का ये दिन।

कुछ को तो लगता मुनासिब नहीं,
और कुछ की ज़िंदगी में हांसिल ही नहीं,
आज का ये दिन।”

इन कुछ पंक्तियों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि मेरी इस कविता का विषय क्या है और यही मेरी वह रचना है जिसे पाठक वर्ग, पारिवारिक सदस्यों तथा मित्रों द्वारा सबसे ज़्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त है।

AuthorsWiki : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?

Prabhpreet Singh : जैसा कि आप जानते हैं कि मेरी किताब में चित्र सहित कविताएँ हैं और वह सारे चित्र मेरे द्वारा ही बनाए गए हैं, लेकिन उन चित्रों को बनाने के लिए मुझे जिन संसाधनों की अवश्यकता थी, वह सब मुझे मेरे प्रिय मित्र द्वारा प्रदान किए गए। इसी के साथ मेरे परिवार द्वारा दिया गया सहयोग भी मेरे लिए उतना ही अवश्य था। इसलिए किताब लिखते दौरान सबसे ज़्यादा योगदान का श्रेय मैं अपने परिवार और अपने प्रिय मित्र ‘रोहित’ दोनों को देता हूँ।

यह भी पढ़ें – लेखकों के बीच पुस्तक प्रकाशन को लेकर कुछ गलत धारणाएं और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ

AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

Prabhpreet Singh : मैं ये भली भाँती जानता हूँ कि समय सबसे बलवान है और अगर हम समय की क़दर करेंगे, तो ही समय भी हमारी क़दर करेगा।

जैसा मैने पहले बताया कि कविताएँ लिखना मेरे लिए बिल्कुल साँस लेने जैसा है। जो भी काम आपकी प्राथमिकता सूची में आते हैं, उनके लिए आपको वक़्त निकालना नहीं पड़ता, उनके लिए अपने आप वक़्त बन जाता है। जैसे साँस लेने के लिए हमें अलग से वक़्त निकालना नहीं पड़ता, ठीक वैसे ही मेरे लिए कविताएँ हैं।

लेकिन अक्सर मेरे साथ ऐसा होता है कि मुझे किसी कविता का विचार तभी आता है जिस पल कागज़ और कलम मेरी पहुँच से बहुत दूर होते हैं, तो मुझे अपने उन विचारों को तब तक अपने दिमाग में सहेजकर रखना पड़ता है जब तक कि मुझे कागज़ – कलम नहीं मिल जाते।

AuthorsWiki : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?

Prabhpreet Singh : मेरी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत हैं मेरे अनुभव और मेरे वो जटिल ख्याल जिनको समझना थोड़ा मुश्किल है। जैसे कि मेरी एक कविता है, जिसका शीर्षक है ‘कश्मकश’, यह कविता दिल और दिमाग की कभी न ख़त्म होने वाली लड़ाई पर आधारित है। इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि मेरी कविताओं में प्रेरणा के लिए मेरे ख्याल ही सबसे ज़्यादा योगदान देते हैं। इसी का प्रमाण मेरी किताब ‘ख्यालों की खिड़कियाँ’ है।

इसके बावजूद अकेले में बिताया वक़्त, अपनों के साथ बीते लम्हे और मन ही मन खुद से बातें करना, प्रकृति में होते बदलाव, और वातावरण में छिड़ी हलचल, यह सब कुछ ही मुझे कविताओं के लिए प्रेरित करता है।

AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?

Prabhpreet Singh : मेरे पिता जी के फौज में होने के परिणामस्वरूप हम भी उनके साथ आर्मी कैंट में ही रहते थे, तो हर साल ही वहाँ पर बड़ा खाना आयोजित किया जाता था, जिसमे सभी परिवार शामिल होते थे। वहाँ पर अलग-अलग प्रतियोगिताएँ भी होती थी, जिसमें से गाना गाने के लिए मैंने एक बार हिस्सा लिया था और मुझे तीसरा स्थान तथा पुरस्कार मिला था। मेरे जीवन से जुड़ी यही घटना है जो मुझे सबसे ज़्यादा पसंद है।

AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?

Prabhpreet Singh : मेरी पसंदीदा किताबों की सूची में ख़लील जिब्रान की किताब ‘द प्रोफ़ेट’, हरिवंश राय जी की किताब ‘मधुशाला’ और तनीशा पब्लिशर्स द्वारा प्रकाशित ‘कलियुग की सीता’ (लेखक : श्वेता विशाल झा) मेरी पसंदीदा किताबों में से एक है।

मेरे पसंदीदा लेखकों में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा के साथ हरिवंश राय जी का भी नाम आता है और वही मेरे आइडियल भी हैं।

AuthorsWiki : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

Prabhpreet Singh : जैसा कि मैने बताया कि मुझे बचपन से ही पढ़ना पसंद है और इसीलिए किताबें पढ़ना मेरी दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण और पसंदीदा हिस्सा है। इसके विपरीत मुझे चित्रकला का भी शौक़ है जिसका नतीजा है मेरी किताब में सचित्र कविताएँ। मुझे अकेले बैठे गाने गुनगुनाने का भी शौक है। इससे बढ़कर मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए और कुछ बेहतर हो सकता है।

यह भी पढ़ें – पहली बार पुस्तक प्रकाशन करा रहे हैं तो आपको यह बातें जरूर जाननी चाहिए

AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?

Prabhpreet Singh : बहुत से लेखकों को यह डर रहता है कि उनकी रचना कुछ खास नही है और लोग इसे पसंद नहीं करेंगे, क्योंकि मैं भी उन्हीं लेखकों में से एक था। उन्हें अपनी रचना को प्रकाशित कराने में भी डर रहता है कि शायद यह इस काबिल नहीं है, लेकिन मैं उन्हें ये संदेश देना चाहता हूँ कि वह खुद पर और अपनी रचनाओं पर भरोसा रखें और बेझिझक अपनी रचना को प्रकाशित कराएँ क्योंकि समाज में जितने भी लोग हैं, उन सभी की अन्य अन्य तथा कई विषयों में रूची है और मुझे विश्वास है कि जिस क़दर लोगों ने मेरी रचनाओं को पसंद किया है, उसी क़दर वह उनकी भी रचनाओं को पसंद करेंगे।

AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?

Prabhpreet Singh : बिना लेखन प्रक्रिया के मेरे लिए ज़िंदगी के बारे में सोचना ही मुश्किल है क्योंकि यह मेरी ज़िंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए मैं आगे भी लेखन की दुनिया में बना रहूँगा।

AuthorsWiki : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

Prabhpreet Singh : सबसे पहले तो सभी पाठकों का शुक्रिया अदा करना चाहूँगा, जिन्होंने भी मेरी किताब को पढ़ा है और पसंद किया है। मेरा उन सभी के लिए यही संदेश है ‘ज़िंदगी अनेक रंगों का इंदरधनुष है और मैं अपनी कविताओं से आपकी ज़िंदगी के हर लम्हों में रंग भरने की कोशिश करूँगा। आपने जो मेरी कविताओं के प्रति प्रेम और स्नेह जताया है उसके लिए आपका धन्यवाद और मैं इससे बेहतर कविताएँ और रचनाएँ सृजित करता रहूँगा। मैं उम्मीद करता हूँ कि मेरी वे रचनाएँ आपके हृदय में ऐसे ही जगह बनाती रहेंगी और आपके जीवन को रंगों से भरती रहेंगी।’

लेखक की पुस्तक कैसे प्राप्त करें-

आप लेखक की पुस्तक को अपने पसंदीदा ऑनलाइन स्टोर अमेजन या फ्लिपकार्ट से मंगा सकते हैं। किताब को खरीदने के लिए लिंक नीचे दिए गए हैं।

यदि आप लेखक की किताब को पढ़ चुकें हैं तो अपनी प्रतिक्रिया या विचारों को कमेंट करके जरूर शेयर करें।

Follow on WhatsApp : Subscribe to our official WhatsApp channel to receive alerts whenever new posts are published on AuthorsWiki. Please note, we only share content on WhatsApp channel that is highly relevant and beneficial to authors, ensuring you stay updated with valuable insights, tips, and resources.   Follow on WhatsApp


Copyright Notice © Re-publishing of this exclusive post, including but not limited to articles, author interviews, book reviews, and exclusive news published on AuthorsWiki.com, in whole or in part, on any social media platform, newspaper, literary magazine, news website, or blog, is strictly prohibited without prior written permission from AuthorsWiki. This content has been created exclusively for AuthorsWiki by our editorial team or the writer of the article and is protected under applicable copyright laws.

LEAVE A REPLY

Thanks for choosing to leave a comment. Please keep in mind that all comments are moderated according to our comment policy, and your email address will not be published. Please do not use keywords in the name field. Let us have a meaningful conversation.

Please enter your comment!
Please enter your name here
Captcha verification failed!
CAPTCHA user score failed. Please contact us!