कहानी संकलन ‘कहानियाँ बोलती हैं’ की लेखिका सुरंजना पांडेय जी से साक्षात्कार

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लेखिका एवं कवयित्री सुरंजना पांडेय जी की पिछले दिनों ‘कहानियाँ बोलती हैं’ पुस्तक प्रकाशित हुई हैं। AuthorsWiki द्वारा सुरंजना पांडेय जी का साक्षात्कार किया गया और साक्षात्कार में हमने उनकी किताबों और उनकी साहित्य यात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त की। सुरंजना पांडेय जी ने हमारे सवालों के बहुत सुलझे हुए जवाब दिये, जो निश्चित ही पाठकों को भी अवश्य पसंद आएंगे। पेश हैं आपके लिए साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश-

AuthorsWiki : सुरंजना जी, नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?

सुरंजना पांडेय : आपका बहुत आभार कि आपने साक्षात्कार के लिए मुझे अवसर प्रदान किया। मै सुरंजना पांडेय कवियत्री और लेखिका और एक गृहिणी हूँ। मेरा जन्म स्थान उत्तर प्रदेश में कुशीनगर के पास पाण्डेय पट्टी नामक गांव है। पिताजी रेलवे में वरिष्ठ वाणिज्य लिपिक थे, जिस कारण मेरी शिक्षा-दीक्षा लखीमपुर में हुई। मैंने तीन विषयो में परास्नातक किया है और मै गोल्ड मेडलिस्ट रही हूँ। वर्तमान में बिहार के पश्चिमी चम्पारण के धर्मपुर गांव निवास स्थान है। मेरे पति डॉक्टर है, मेरे दो बच्चे हैं।

AuthorsWiki : आपकी पहली पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

सुरंजना पांडेय : मेरी पहली पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए प्राची डिजिटल पब्लिकेशन को बहुत धन्यवाद। मेरी पहली पुस्तक ‘कहानियां बोलती है’। यह कहानियों का एक संकलन है जो समाज की विसंगतियों और प्रमुख समस्याओं को ध्यान में रखकर उन्हें समाज के सामने लाने का प्रयास रहा है। नारी जगत की समस्या जैसे- शिक्षा, दहेज, बेटा और बेटी के बीच अंतर की सोच, शराब, आम आदमी की समस्याओं को मैने कहानी के माध्यम से पाठक के सामने रखने का प्रयास किया है। संकलन में कहानियों की भाषाशैली को बहुत ही सरल और सहज रखने की कोशिश रही है ताकि मेरी मेरी कहानियां सभी पाठक वर्ग आसानी से समझ सकें और इसके साथ ही कहानियों के पात्रों को यथार्थ के धरातल पर गढने की कोशिश रही है, क्योंकि कहानियां लिखते समय यही महसूस होता है कि कहानियो के सारे पात्र और घटनाएं हमारे आसपास के अनुभव से ही जुड़े है। कुछ प्रमुख कहानियां है जो पाठक को सोचने पर मजबूर करेगी और एक सीख भी देगी, मुझे ऐसी आशा है। मूला जो शराब जैसी विसंगति पर, पुण्य और पाप एक बांझ दम्पति की कहानी, कुर्सी एक जंग चुनावी माहौल पर तो मोहरा एक मजदूर की विवशता फर्क और मजबुरी नारी जगत की समस्या ऐसे ही सभी कहानियाँ को लिखने के पीछे एक संदेश देने की पूरी कोशिश रही है।

AuthorsWiki : आपकी पुस्तक ‘कहानियाँ बोलती है’ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

सुरंजना पांडेय : ‘कहानियाँ बोलती है’ की सभी कहानियाँ समाज की उठती विसंगतियों पर सवाल खडी करती हैं। हर कहानी का एक संदेश है जो समाज में हो रहे घटनाओं और ऊठापटक को ध्यान में रखकर सृजित की गयी है। मेरी कोशिश रही है कि मै समाज के हर पाठक वर्ग के बीच मेरी कहानियाँ पढ़ी जाए और पसंद की जाए। आम गृहिणी, छात्रों, मजदूर, बुजुर्ग दम्पति, आम आदमी की कसक को कहानी में पिरोने की कोशिश रही है। साथ ही ‘पेइंग गेस्ट’ और ‘ठोकर’ आदि कहानियों को बुजुर्ग लोगो को ध्यान में ही रखकर लिखा गया है। इसी तरह से करोना को लेकर ‘कोरोण्टाईन हुए पंडित’, ‘पहला लाकडाउन’ आदि सहित 33 कहानियों का संग्रह है जिसे आप सभी जरूर पढ़े।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?

सुरंजना पांडेय : पुस्तक प्रकाशन के लिए प्रेरणा मेरे नाना जी श्री परमहंस शुक्ला हैं, जो पूर्वांचल के वरिष्ठ साहित्यकार और कवि थे। जिनके सानिध्य मे मुझे साहित्य सृजन के प्रति रूझान हुआ। इसके अलावा खाली समय में मैं डायरी लेखन हमेशा ही करती रहती थी। वहीं, मेरे पति डॉक्टर सुशांत कुमार पांडेय ने मेरी इस रुचि को मनोबल प्रदान किया और उनके सहयोग से ही मैने पुस्तक प्रकाशित कराने का मन बनाया। पुस्तक लेखन से लेकर प्रकाशन तक मेरे बच्चों और परिवार का पूरा सहयोग रहा।

AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?

सुरंजना पांडेय : जी, इसके लिए मैं प्राची डिजिटल पब्लिकेशन का ह्रदय से बहुत आभारी हूँ कि उन्होने मुझे हर स्तर पर सहयोग प्रदान किया, तब जाकर ये पुस्तक आप सभी के सामने है। प्राची डिजिटल पब्लिकेशन ने बहुत सहयोग किया कहानियों के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। आपका व्यवहार आपको अन्य प्रकाशन से आपको बेहतर बनाता है आपके असीम सहयोग की मै दिल से सदा आभारी रहूँगी और आगे भी यह साथ बना रहे, इसकी मै अभिलाषी हूँ।

AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?

सुरंजना पांडेय : मेरी पहली रचना कालेज स्तर पर दीप्ति पत्रिका में प्रकाशित ‘कटाक्ष’ नामक व्यंग्य और ‘नारी तू ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है’ लेख हैं, जिन्हें काफी सराहा गया। मैं शुरु से ही साहित्य प्रेमी रही हूँ क्योंकि मेरे नाना जी कवि और साहित्यकार थे, तो मुझे साहित्यिक माहौल बचपन से मिला। मैं कालेज स्तर पर विभिन्न वाद-विवाद और अनेक प्रतियोगिता में भाग लेती रहती थी और डायरी लेखन भी शुरू से करती थी, लेकिन अब ज्यादा संलग्न हो गई क्योंकि बच्चे बड़े हो गये हैं तो लिखने के लिए समय मिलने लगा है और साहित्य सृजन के लिए मेरे पति का हमेशा ही पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है।

AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?

सुरंजना पांडेय : अब तक के साहित्यिक सफर मे ‘कटाक्ष’ नामक व्यंग्य और ‘नारी तू ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है’ लेख हैं, जिन्हें काफी सराहा गया और स्योहारा प्रहरी मे सम्पादित मेरी रचना ‘ना झुकना तुम’ रही है।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?

सुरंजना पांडेय : पुस्तक प्रकाशन के लिए मै अपने दोनो बच्चों श्रेयाशं कुणाल पाण्डेय और बेटी सौम्या श्री पाण्डेय और पति डॉ. सुशांत कुमार पांडेय और परिवार में मेरे ससुर, माता पिता, नन्द, भाईयों बुआ जी सभी को देना चाहूँगी, जिन्होंने मुझे भरपूर सहयोग प्रदान किया, जिनके आशीर्वाद और शुभकामनाओ के बिना यह संभव नहीं था।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?

सुरंजना पांडेय : कई मंचों और कवि सम्मेलनों में मुझे सम्मान प्राप्त हुआ है। जिनमें सर्वश्रेष्ठ कवयित्री का सम्मान, बेस्ट लेखिका का सम्मान, गीत गौरव सम्मान, हिमालयन अपडेट साहित्य सृजन सम्मान, अपराजिता कवयित्री सम्मान, अनामिका सम्मान आदि प्रमुख है।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?

सुरंजना पांडेय : लेख, कविता, कहानी, लघुकथा, व्यंग्य, हास्य व्यंग्य, बाल कविता, गीत, गजल आदि सभी विधाओं में लिखने की कोशिश रहती है। लिखना किसी भी विधा में आसान नहीं कहा जा सकता है। पूरे मन और लगन और समर्पण के साथ ही लेखन कार्य संभव हो पाता है ताकि हम अपना श्रेष्ठ पाठकों तक पहुंचा सके। वैसे मुझे लेख और कविता लिखना ज्यादा पसंद है।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

सुरंजना पांडेय : साहित्य सृजन लिए मैं दोपहर का समय बेस्ट मानती हूँ क्योंकि बच्चों व परिवार की सभी जिम्मेदारियों को भी ध्यान में रखते हुए मुझे दोपहर का समय साहित्य सृजन के लिए ज्यादा उपयुक्त रहता है।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?

सुरंजना पांडेय : मेरे प्रेरणास्रोत मेरे नानाजी श्री परमहंस शुक्ल और मेरे बाबा जी श्री कमला प्रसाद पांडेय जी रहे है और जीवन की होने वाले अनेक अनुभवों और घटनाओं से मुझे प्रेरणा मिलती है।

AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?

सुरंजना पांडेय : जब मैं हाई स्कूल फर्स्ट डिवीजन से पास हुई, तब मेरे बाबा जी के द्वारा दिया गया उपहार पेन और डिक्शनरी, जो आज भी मेरे पास है। इसके अलावा जब मुझे दो विषयों राजनीति विज्ञान और हिन्दी भाषा में रंगमंच के कलाकार श्री लाल कक्कड़ जी द्वारा गोल्ड मेडल प्राप्त हुआ, वह पल मेरे लिए अविस्मरणीय पल था और अभी मेरा बचपन से देखा सपना कि मेरी भी किताबें छपे, यह सपना मूर्त रूप ले सका और अब मेरी किताबें आनलाईन प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं।

AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?

सुरंजना पांडेय : नागार्जुन की नई पौध, शिवानी जी की कहानियां और ऊषा प्रियंबंदा की लिखी पचपन खम्भे लाल दीवारें, प्रेम चन्द्र और शरत चन्द्र मेरे पसंदीदा रहे है, उनकी कहानियों को अक्सर मैं पढती हूँ।

AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

सुरंजना पांडेय : हिन्दी भाषा में अपार संभावनाएं और अवसर है क्योंकि हिंदी जन मानस की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। आईए हम अपने राष्ट्र भाषा के उत्थान के लिए अपनी पूरी कोशिश करे और हिंदी साहित्य के विकास के लिए सदा प्रयत्नशील रहे और इसके लिए जनमानस को भी जागरूक करने की कोशिश करते रहें।

AuthorsWiki :साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

सुरंजना पांडेय : सिलाई कढाई, मेहंदी, कुकिंग और संगीत और नेचर से लगाव, नई-नई जगहों पर घूमना और सुविचार लिखना मेरी हाबी है।

AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?

सुरंजना पांडेय : आपकी रचना ज्यादा बड़ी ना हो, पर ऐसी हो जो हर पाठकवर्ग को ध्यान मे रखकर लिखी जाए। एक संदेश के साथ हो और जो नयी सोच को लेकर लिखे सारगर्भित और सरल शब्दों में। वो कहते है ना ‘देखन में छोटी लगे पर घाव करे गंभीर’।

AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?

सुरंजना पांडेय : आजीवन यही कोशिश रहेगी कि साहित्य जगत में एक मैं अपनी अलग पहचान बनाऊं।

AuthorsWiki : सुरंजना पांडेय जी, यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

सुरंजना पांडेय : जीवन में आप जो भी करे पूरे मन और समर्पण और लगन से करें, तो नि:संदेह आपको सफलता मिलेगी और अपने बड़ो के आर्शीवाद से आप जीवन मे जरुर नई उपलब्धियो को अर्जित करोगे। नई सोच और नये चीजों की जानकारी रखे। मेरा पसंदीदा वाक्य है-

Never to submit to others
Any wrong decision always
Support the truth follow rules of New thought.

‘पुस्तक कहानियाँ बोलती है’ को आप फ्लिपकार्ट एवं अमेजन से प्राप्त कर सकते हैं।

Visit for know more about the book – Kahaniyan Bolti Hai

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