
पिछले दिनों शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. अर्चना सिंह जी का काव्य संग्रह ‘संस्कृति’ प्रकाशित हुई है। AuthorsWiki द्वारा डॉ. अर्चना सिंह जी का साक्षात्कार किया गया और साक्षात्कार में हमने उनकी नई किताब के बारे में जानकारी प्राप्त की और उनकी साहित्य यात्रा के बारे में जानने का प्रयास किया। डॉ. अर्चना सिंह जी ने हमारे सवालों के प्रेरक जवाब सरल शब्दों में दिए, जो निश्चित ही पाठकों को भी अवश्य पसंद आएंगे। पेश हैं आपके लिए साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश-
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?
डॉ. अर्चना सिंह : नमस्कार! ये मेरा सौभाग्य है कि आपके द्वारा मुझे इंटरव्यू का अवसर प्राप्त हुआ। मैं एक शिक्षिका हूं। इसके साथ ही साहित्य में शुरू से रुचि रही है तो इस माध्यम से कुछ योगदान इस क्षेत्र में भी रहा है। मैं अपना योगदान लोगों के अमूल्य जीवन में भी दे रही हूं एक लाइफ कोच के रूप में। मेरा ये जीवन अगर किसी एक व्यक्ति को भी उसके लक्ष्य को पूरा करने में कारगर रहा तो मैं स्वयं को धन्य महसूस करूंगी।
AuthorsWiki : आपकी पुस्तक ‘संस्कृति’ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
डॉ. अर्चना सिंह : मेरी पुस्तक संस्कृति मेरे अब तक के जीवन का सार है। एक स्त्री की जितनी संवेदना उसके जीवन में लिप्त है, वह सबकुछ इस पुस्तक में आपको मिलेगा। कोई भी व्यक्ति इस पुस्तक की रचनाओं को अपने जीवन से जोड़ सकता है और इसके लिखी अभिव्यक्ति को महसूस कर सकता है।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
डॉ. अर्चना सिंह : जी बिल्कुल। इस पुस्तक को प्रकाशित करने की प्रेरणा मुझे मेरे मेंटर से मिली। उन्होने एक तरीके से कहिए तो मुझे इस पुस्तक पर काम करने के लिए एक अंतिम अवधि की चुनौती दे दी थी और इस प्रकार प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के सौजन्य से सफलता मिली।
AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
डॉ. अर्चना सिंह : प्राची डिजिटल पब्लिकेशन का सहयोग ही है कि ये पुस्तक प्रकाशित हो सका। मुझे जिस भी तरह की जटिलता का बोध हुआ वह बहुत ही आसानी से प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के द्वारा सुलझा दिया गया। मैंने कभी सोचा ही नहीं था की पुस्तक प्रकाशित करना इतना सहज हो सकता है। मैं इसका पूरा श्रेय प्राची डिजिटल पब्लिकेशन को ही देना चाहती हूं और आभार व्यक्त करना चाहती हूं।
AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?
डॉ. अर्चना सिंह : ‘क्या मिला?’ मेरी पहली रचना है। जब मैं स्कूल में थी और स्वतंत्रता दिवस पर मुझे काव्य पाठ करना था तो यह सृजन उस वक्त हुआ। मेरी हिंदी की शिक्षिका एक कवियत्री थी और उनके संदिग्ध्य में मुझे लिखने की प्रेरणा मिली और वहीं से इसका प्रारंभ हुआ और इस प्रकार स्कूल से ही मेरी रुचि और झुकाव साहित्य क्षेत्र में रहा।
AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
डॉ. अर्चना सिंह : “सूरज उगने में अब कितनी देर है” इस कविता को सभी ने सराहा और यथास्थिति के चित्रण को महसूस किया। इस कविता में तमाम बातें हैं जो सबके दिल को छू गई। मैं सबके प्रति आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने मुझे अपने अमूल्य प्रेम और सहयोग दिया।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
डॉ. अर्चना सिंह : जी, मुझे सबसे ज्यादा सहयोग मेरे माता-पिता, भाई-बहन पति और मेरे प्रिय बच्चों से प्राप्त हुआ। मेरे दादाजी और नानाजी की प्रेरणा ही रही है कि मैं इस क्षेत्र में आगे आ सकी।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
डॉ. अर्चना सिंह : जी बिलकुल। मुझे राजकीय स्तर पर कई सम्मान प्राप्त हुआ। परंतु अभी राष्ट्रीय स्तर के सम्मान की लालसा बनी हुई है।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?
डॉ. अर्चना सिंह : मुझे प्रेम रस में ज्यादा दिलचस्पी रही है।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
डॉ. अर्चना सिंह : भाग दौड़ के जीवन में समय मिलना कठिन है लेकिन मुझे सुबह जल्दी जागकर रचनात्मक कार्य करना पसंद हैं और एकांत भी मिलता है, जब सब सोए रहते हैं तो मैं अपना रचना कार्य करती हूं।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?
डॉ. अर्चना सिंह : अपने संघर्षरत जीवन से ही प्रेरणा मिला।
AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
डॉ. अर्चना सिंह : मुझे मेरे स्कूल की तरफ से एक इंटरस्कूल कंपटीशन में भेजा गया था और वहां कई राजनीतिज्ञ भी अतिथि के रूप में आए थे और मैंने अपनी एक संवेदनशील स्वरचित कविता पाठ किया था जिसे सुन सभी भावुक हो गए और मुझे प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ, यह यादगार घटना कभी नही भूली जा सकती है।
AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
डॉ. अर्चना सिंह : महादेवी वर्मा और प्रेमचंद्र
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
डॉ. अर्चना सिंह : साहित्य का विकास आवश्यक है और इस क्षेत्र में सबको अपना सहयोग देना चाहिए।
AuthorsWiki : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
डॉ. अर्चना सिंह : पुस्तक पढ़ना और लिखना यही मेरे पसंदीदा शौक हैं।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
डॉ. अर्चना सिंह : अभी एक पुस्तक पर काम चल रहा है। यह एक लोगो के जीवन में प्रेरणा प्रदान करने वाली पुस्तक है।
AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
डॉ. अर्चना सिंह : अपनी अभिव्यक्ति को सबके समक्ष रखने का प्रयास करना चाहिए।
AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
डॉ. अर्चना सिंह : बिलकुल। अभी बहुत कुछ करना है इस क्षेत्र में।
AuthorsWiki : डॉ अर्चना जी, यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
डॉ. अर्चना सिंह : मैं कहना चाहूंगी कि अपने जीवन को दूसरों के सहयोग में भी लगाए और ज्यादा से ज्यादा लोगो को लाभान्वित करें। यही हमारा धर्म और कर्म होना चाहिए।
आप डॉ. अर्चना सिंह की पुस्तक ‘संस्कृति’ को अमेजन या फ्लिपकार्ट से खरीद सकते हैं।
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अर्चना जी,
असीम शुभकामनाएं !
साहित्य पथ पर निरंतर आप बढ़ते रहे !