
AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए डॉ. अमित कुमार मिश्रा का धन्यवाद करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि लेखक की एक पुस्तक ‘जूतों के दौर में पाँव’ पिछले दिनों प्रकाशित हुई है। लेखक ने साक्षात्कार के दौरान साहित्यिक सफर एवं अनुभवों को भी हमारे साथ साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को लेखक के साथ यह एक्सक्लूसिव साक्षात्कार अवश्य पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-
AuthorsWiki : आपको पहली बार कब एहसास हुआ कि आप लेखक बनना चाहते हैं?
Dr. Amit Kumar Mishra : मुझे साहित्य पढ़ने में विशेष रुचि मैट्रिक-इंटर के दौरान जगी लेकिन उन दिनों सिर्फ पढ़ा करता था। आगे चलकर जब मैं स्नातक का छात्र था उन दिनों कई ऐसे लोगों से मुलाकात हुई जो रचनाक्रम में सक्रिय थे। खुद मेरे गुरुदेव डॉक्टर कलानाथ मिश्र कविता, कहानी आदि लिख रहे थे। मेरे भीतर भी अपने भावों को व्यक्त करने की प्रेरणा जगी और मैं कुछ कविताएँ लिखने लगा। फिर अपने भावों को प्रवाहित कर अच्छा लगने लगा और मैं लेखन में प्रवेश कर गया।
AuthorsWiki : आपकी एक पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी देना चाहेंगें, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
Dr. Amit Kumar Mishra : पिछले दिनों प्रकाशित ‘जूतों के दौर में पाँव’ मेरी कविताओं का संकलन है जिसमें मेरी पाँच दर्जन से अधिक कविताएँ प्रकाशित हैं। ये कविताएँ समसामयिक भावों को समेट कर चलती हैं। इसमें मैंने अपने अनुभव क्षेत्र से प्रवाहित भावों को अभिव्यक्त किया है।
मैंने समाज में चीजों को जिस रूप में देखा, महसूस किया, उसी रूप में उसे अभिव्यक्त किया है। इस संकलन की कविताओं में प्रेम भी है और जीवन की आपाधापी भी। पाठक खुद इसके अनुभव क्षेत्र को महसूस कर सकते हैं।
AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
Dr. Amit Kumar Mishra : दरअसल पिछले लगभग दस वर्षों से मैं कविता, ग़ज़ल, कहानी आदि विधाओं में लिखते आ रहा हूँ। अध्यापन क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण आलेख, समीक्षा आदि भी निरंतर लिखता रहा हूँ। इससे पहले मेरी एक और पुस्तक, बिहार की साहित्यिक पत्रकारिता के आलोचनात्मक परिचय पर प्रकाशित हो चुकी है।
फिर मेरी इच्छा सृजनात्मक साहित्य में लिखी हुए चीजों को प्रकाशित करने की हुयी उसी का प्रतिफल यह कविता संग्रह है। मित्रों की ओर से निरंतर यह सलाह मिलता रहा की कविता, ग़ज़ल आदि का संकलन निकलवाइये ताकि हम लोगों को मुहैया हो सके।
AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
Dr. Amit Kumar Mishra : प्रकाशन का अनुभव अच्छा रहा। विशेषकर तनीषा प्रकाशन से जुड़कर यह लगा कि काफी सहजता से यहाँ के लोग टीम-वर्क पर काम कर रहे हैं। तो प्रकाशन में किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं हुई। रचनाओं के चयन में थोड़ा ध्यान अवश्य देना पड़ा क्योंकि अब तक की लिखी हुई कविताएँ कम से कम तीन संकलन की मांग करती हैं। तो उसमें इस एक संकलन के लिए कविताओं को मैंने अपने मापदंड से चयनित किया ताकि तीनों संकलन में विभिन्न भाव-भंगिमाओं की कविताएँ आ सके और संतुलन बना रहे।
AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?
Dr. Amit Kumar Mishra : 2014 में जब मैं स्नातक अंतिम वर्ष में था तब मैंने एक साथ, एक-दो दिन के अंतराल में तीन कविताएँ लिखी थी, ‘मशीनी मानव’, ‘इंसान’ और ‘भंवर’। तीनों कविताएँ उन दिनों मेरे भाव को बेचैन करने वाली घटनाओं पर आधारित हैं। इनमेंसे सबसे पहले ‘मशीनी मानव’ कविता प्रतिष्ठित पत्रिका ‘साहित्य यात्रा’ के 2014 वाले ही किसी अंक में प्रकाशित हुई थी। यह कविता आज के यांत्रिक दौर में मनुष्य की भावनाओं के जर होने की ओर संकेत देती है।
AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
Dr. Amit Kumar Mishra : मित्र मंडली की बात करूं तो वे ग़ज़ल में अधिक रुचि लेते हैं और सही मायने में मैं ग़ज़ल लिखता भी अधिकांश उन्हीं की रुचि के लिए हूँ। इसीलिए मुझे ग़ज़ल में बहर आदि की बहुत चिंता नहीं होती क्योंकि मेरे मित्रगण रसिक हैं और वे ग़ज़ल में प्रेम और श्रृंगार अधिक सुनना चाहते हैं। हालांकि समसामयिक परिस्थितियों को भी मैंने अपनी ग़ज़लों में मुखरित किया है।
आपने एक प्रश्न किया पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त करने वाली रचना के विषय में, तो मैं बतला दूँ कि मेरी एक कहानी है ‘प्राणदान’ वह मेरे जानते सबसे अधिक सराही गई है। जिन लोगों ने भी पढ़ा, चाहे वह मित्र मंडली के सदस्य हो या फिर परिवार के लोग सब ने उसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की। वह कहानी मैंने प्रतिलिपि पर प्रकाशित की जिसे दस हजार से अधिक लोगों ने पढ़ा है।
AuthorsWiki : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
Dr. Amit Kumar Mishra : सृजन के लिए मुझे किसी के सहयोग की आवश्यकता नहीं होती यह मेरे लिए एकांत साधना की तरह है। मैं जब अकेला होता हूँ तभी लिखना हूँ। अकेलेपन में ही मेरे भाव मुझे उद्वेलित करते हैं।
AuthorsWiki : साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
Dr. Amit Kumar Mishra : साहित्य में मैं कोई बड़ा मुकाम नहीं रखता हूँ इसलिए किसी बड़े सम्मान की अपेक्षा भी नहीं है। आगे भविष्य के गर्भ में है कि मेरी रचनाशीलता किस हद तक सक्रिय रहती है। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा ‘युवा साहित्यकार सम्मान’ और ‘हिन्दी रत्न सम्मान’ आदि कुछेक और सम्मान अलग-अलग समय में दिए गए हैं।
AuthorsWiki : आप सबसे ज्यादा लेखन किस विधा में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?
Dr. Amit Kumar Mishra : सृजनात्मक रूप से मैं कविता, कहानी और ग़ज़ल विधा में लिखता हूँ। इसमें कविता मेरी मूल विधा है। लिखना आसान और मुश्किल नहीं होता यह अपने अनुभव और रुचि पर आश्रित है।
AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
Dr. Amit Kumar Mishra : सही मायने में कहूँ तो मैं कभी विचार कर लिखने नहीं बैठता हूँ। भाव जब भीतर से उद्वेलित करते हैं तब स्वत: ही लेखन के लिए समय भी निकल जाता है और लिख भी जाता हूँ। मैं साहित्य सृजन को प्रसव क्रिया की तरह देखता हूँ जो अपना समय पूरा होने पर स्वत: ही शिशु को जन्म दे देता है। उसके लिए स्वयं समय निर्धारित होता है।
AuthorsWiki : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहाँ से प्राप्त करते है?
Dr. Amit Kumar Mishra : मैं लिखने के लिए सदैव अपने अनुभव क्षेत्र को महत्व देता हूँ। जीवन जगत की क्रियाओं को बारीकी से देखता हूँ। इसमें कुछ विशेष क्रियाएँ ऐसी होती हैं जो भीतर स्थान बनाती है और धीरे-धीरे पक कर साहित्य का रूप लेती है। इसमें एक विशेष बात यह है कि कोई अनुभव आज का आज साहित्य के रूप में प्रकट हो जाए यह आवश्यक नहीं होता है। आज की संवेदना धीरे-धीरे पक कर कभी भी मन के भीतर से बाहर रिस सकती है।
AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
Dr. Amit Kumar Mishra : इस तरह की कोई घटना मेरी याद में नहीं है जो मुझे बहुत अधिक प्रभावित कर रही हो, या कुछ हो भी तो इस समय स्मरण में ठीक से नहीं आ रहा है।
AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
Dr. Amit Kumar Mishra : मैं बहुत सारे रचनाकारों को पढ़ता रहता हूँ। कभी कोई मित्र लिखने की दिशा में मुझसे कुछ सुझाव मांगते हैं तो उनसे भी मैं यही कहता हूँ कि आप खूब पढ़िए। भीतर लिखने की प्रेरणा स्वयं ही आकार ग्रहण कर लेती है। किसी पुस्तक विशेष के बजाय (मैं चुकि कविता के क्षेत्र में अधिक लिखता हूँ) बतलाना चाहूँगा कि ‘धूमिल’, ‘रघुवीर सहाय’, ‘केदारनाथ सिंह’ जैसे कवियों से मैं विशेष रूप से प्रभावित रहा हूँ। खास तौर पर उनके लेखन की शैली से।
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Dr. Amit Kumar Mishra : मेरे गुरुदेव कहा करते हैं कि साहित्य एक बहता हुआ नदी है, वह स्वयं अपने लिए रास्ता बना लेता है। हिंदी एक उन्नतिशील भाषा है और इसके उत्थान की दिशा में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं यह स्वयं अपने क्षेत्र का विस्तार करते हुए वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुकी है।
AuthorsWiki : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Dr. Amit Kumar Mishra : शिक्षण कार्य से जुड़ा हूँ तो पढ़ना-पढ़ाना मेरे जीवन का एक हिस्सा है। साहित्य पढ़ना भी हूँ और जब कुछ भाव उमड़ते हैं तो लिखना भी हूँ। बाकी जीवन के खाली समय में परिवार, मोबाइल, घूमना-फिरना आदि पसंद करता हूँ। वही सब मेरे जीवन का हिस्सा है।
AuthorsWiki : क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
Dr. Amit Kumar Mishra : अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी यह कहना तो मुश्किल है लेकिन पिछले एक दशक का लिखा हुआ पड़ा है उन सबों को ठीक कर इस वर्ष प्रकाशित करने की योजना है। जिसमें प्राथमिक तौर पर एक कविता संग्रह, एक ग़ज़ल संग्रह और एक कहानी संग्रह प्रकाशित करनी है। अब इसमें किसे पहले करता हूँ और किसे पीछे यह अभी नहीं कह सकता।
AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
Dr. Amit Kumar Mishra : साहित्य की दुनिया में मैंने खुद ही कोई बहुत ठोस और बड़ा मुकाम हासिल नहीं किया है। अभी मैं उस स्थिति में नहीं हूँ जहाँ लोगों को सलाह दूँ, अभी मैं खुद को सलाह दे लूँ यही बहुत है।
AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
Dr. Amit Kumar Mishra : लेखन की दुनिया में मैं सायास नहीं आया हूँ अनायास ही मेरे कम इधर बढ़े हैं तो इसमें रुकना या बाहर निकलना मेरी अपनी सोच के अंतर्गत नहीं है। जब तक भाव भीतर से प्रेरित करते रहेंगे मैं लिखता रहूँगा।
AuthorsWiki : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
Dr. Amit Kumar Mishra : सबसे पहले तो मैं अपने पाठकों, प्रशंसकों और शुभचिंतकों को धन्यवाद देना चाहूँगा कि मैं बहुत साधारण विषय पर साधारण तरीके से लिखता हूँ और उसे भी वे लोग पसंद करते हैं। और उनसे यह कहना चाहूँगा कि आज के यांत्रिक और गजट के समय में पुस्तक और साहित्य से निरंतर अपना लगाव बरकरार रखें क्योंकि यही है जो मानव के भीतर मानवीयता को बनाए रखता है।
लेखक की पुस्तक कैसे प्राप्त करें-
आप लेखक की पुस्तक को अपने पसंदीदा ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं।
Book Title – Jooton ke Daur Me Paanv
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