
पिछले दिनों प्राची डिजिटल पब्लिकेशन द्वारा एक महिला प्रधान साझा काव्य संकलन ‘नारी तू अपराजिता‘ प्रकाशित किया गया है, जिसका संपादन प्रीति चौधरी ‘मनोरमा’ जी द्वारा किया गया है। ‘नारी तू अपराजिता’ में देशभर से चुन्निदा कवयित्रियों की रचनाएं शामिल हैं, जिनमें से एक कवयित्री अनुराधा चौहान जी का साक्षात्कार प्रकाशित किया जा रहा है। प्रस्तुत है ‘नारी तू अपराजिता’ प्रधान साझा काव्य संकलन की एक कवयित्री अनुराधा चौहान जी से साक्षात्कार-
AuthorsWiki : हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। क्या आप हमारे पाठकों को अपने शब्दों में परिचय देंगें?
Anuradha Chauhan : मेरा नाम अनुराधा चौहान है, ग्वालियर मेरी जन्म स्थली है। वर्तमान में मेरा निवास स्थान कल्याण (मुंबई) है।मैं एक गृहणी हूँ।
AuthorsWiki : क्या आप अपनी प्रकाशित पुस्तकों के बारे में बताना चाहेंगे?
Anuradha Chauhan : मेरी पहली पुस्तक ‘ये कुण्डलियाँ बोलती है’ साझा संग्रह आदरणीय संजय कौशिक ‘विज्ञात’ सर के मार्गदर्शन में प्रकाशित हुई। उसके बाद ‘गीत गूँजते हैं’ साझा संग्रह, ‘विज्ञात बैरी छंद’ साझा संग्रह, ‘विज्ञात नवगीत माला’ साझा संग्रह, ‘गुंजन हाइकु’ साझा संग्रह, ‘विज्ञात के साक्षात्कार’ साझा संग्रह प्रकाशित हो चुकें है। फिर मैं प्राची डिजिटल पब्लिकेशन से जुड़ी और उनके बेहतरीन संपादन में ‘अनुभूति’ साझा संग्रह, ‘कहानियाँ’ साझा संग्रह, ‘अनामिका’ साझा संग्रह, ‘नारी तू अपराजिता’ और ‘काव्य मंजरी’ साझा संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं।
AuthorsWiki : पिछले दिनों प्रकाशित साझा संकलन ‘नारी तू अपराजिता’ में आपकी रचनाएं भी शामिल की गईं है, क्या आप इस साझा संकलन के बारे में बताएंगें?
Anuradha Chauhan : मेरे लिए ‘नारी तू अपराजिता’ काव्य संग्रह का हिस्सा बनना ही बेहद सुखद अनुभूति है। आदरणीया प्रीति चौधरी ‘मनोरमा’ जी के संपादन में इस पुस्तक में सम्मिलित रचनाकारों ने नारी जीवन के विभिन्न पक्षों का वर्णन किया है।
AuthorsWiki : आपकी पसंदीदा लेखन विधि क्या है, जिसमें आप सबसे अधिक लेखन करते हैं?
Anuradha Chauhan : मैं गद्य और पद्य दोनों ही विधा में लेखन करती हूँ।
AuthorsWiki : किसी भी लेखक या लेखिका के लिए पहली प्रकाशित पुस्तक बहुत ही मायने रखती है और उसके प्रकाशन का अनुभव बहुत खास होता है। क्या आप प्रथम प्रकाशन के उस अनुभव को हमारे पाठकों के बीच साझा करेंगे?
Anuradha Chauhan : पुस्तक के रूप में अपनी रचनाओं को अपने हाथों में लेना ही अपने आप में खास है। ‘नारी तू अपराजिता’ साझा काव्य संग्रह का हिस्सा बनकर मैं प्राची डिजिटल पब्लिकेशन की आभारी हूँ।
AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन कब से कर रहें हैं, अब तक अर्जित उपलब्धियों की जानकारी देना चाहेंगे?
Anuradha Chauhan : मेरी साहित्य में रुचि हमेशा ही रही है। पहले कभी-कभार लेखन करती थी, लेकिन मई 2018 से नियमित लेखन कर रही हूँ। कई साहित्यिक मंचों पर मुझे सम्मान पत्र भी मिल चुके हैं।
AuthorsWiki : क्या वर्तमान या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं?
Anuradha Chauhan : इस बारे में अभी तो इस बारे में नहीं सोचा है, लेकिन निकट भविष्य में प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के माध्यम से इस सपने को पूरा करूँगी।
AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना चाहेंगें?
Anuradha Chauhan : ऐसा तो कोई खास आइडियल नहीं है, सभी को पढ़ना अच्छा लगता है। वैसे मुझे महादेवी वर्मा जी और मुंशी प्रेमचंद जी की रचनाएं पढ़ना पसंद है।
AuthorsWiki : लेखन के अलावा आपके अन्य शौक क्या हैं, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Anuradha Chauhan : खाली समय में परिवार के साथ समय बिताना और लेखन के लिए नए विषय की खोज करना एवं कुछ न कुछ नया सीखने की कोशिश करते रहना मेरी पसंद है।
AuthorsWiki : आपके जीवन की कोई ऐसी प्रेरक घटना जिसे आप हमारे पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?
Anuradha Chauhan : ऐसा कोई खास घटना याद नहीं है। परिवार का सहयोग, उनका प्रोत्साहन ही मुझे और बेहतर लिखने की प्रेरणा देता है।
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Anuradha Chauhan : हिन्दी भाषा में हम सबको एक सूत्र में बाँधकर रखने की अद्भुत क्षमता है। और यह बड़ी सरलता से सबके हृदय में रच-बस जाती है। मैं बस यही कहूँगी कवि हो या कविता दोनों ही हिन्दी भाषा के बिन अधूरे है।
AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?
Anuradha Chauhan : जी बिल्कुल, लेखन ही मेरी पहचान है।
AuthorsWiki : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
Anuradha Chauhan : पाठकों और प्रशंसकों के बिना मैं कुछ नहीं हूँ, इसलिए दिल से उन सभी का आभार व्यक्त करती हूँ। उनका प्रेम और प्रोत्साहन ही मेरी ताकत है।
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