
AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए सुशील मिश्रा जी का धन्यवाद करते हैं। पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि सुशील मिश्रा जी का एक काव्य संग्रह ‘हिन्दुस्तान हमारा है’ पिछले दिनों ही Taneesha Publishers से प्रकाशित हुआ है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में कार्यरत सुशील मिश्रा जी ने AuthorsWiki को साक्षात्कार के दौरान साहित्यिक सफर एवं अनुभवों को भी हमारे साथ साझा किया। आशा करते हैं कि पाठकों को सुशील मिश्रा जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-
AuthorsWiki : नमस्कार। हम आपका शुक्रिया करना चाहते हैं क्योंकि आपने हमें साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय दिया। यदि आप अपने शब्दों में आप अपना परिचय देंगें, तो सम्मानित पाठक आपके बारे मे ज्यादा जान पायेंगे?
Sushil Mishra : नमस्कार। मेरा नाम सुशील मिश्रा है। मेरा जन्म 26-10-1987 को ग्राम छिदगांव मेल तहसील टिमरनी जिला हरदा मध्यप्रदेश में हुआ था। पिता जी स्वर्गीय श्री सीताचरण मिश्रा जी छिदगांव मेल के ही रहने वाले थे और पेशे से पंडिताई किया करते थे। माता जी स्वर्गीय श्रीमती कमला मिश्रा जी गृहणी थी। परिवार में मुझ से बड़े 7 भाई ओर 2 बड़ी बहन है। मेरी प्रारंभिक शिक्षा पैतृक गांव छिदगांव मेल के माध्यमिक शाला से ही हुई है, उच्च और उच्चतर शिक्षा हरदा जिले से व स्नातक एवं स्नातकोत्तर की शिक्षा शासकीय महाविद्यालय टिमरनी से हुई है। वर्ष 2014 में एम. फिल. के लिए बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में प्रवेश लिया और वहीं से 2019 में आदरणीय डॉ. रुचि घोष दस्तीदार के मार्गदर्शन में पी.एचडी. शोधार्थी के रूप में शोधकार्य कर रहा हूं। आजीविका के लिए हरदा जिले में समन्वयक क्षमता निर्माण एवं प्रशिक्षण के पद जल जीवन मिशन में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग खंड हरदा में अपनी सेवाएं दे रहा हूं।
AuthorsWiki : आपकी एक पुस्तक पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी देना चाहेंगें, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?
Sushil Mishra : यह पुस्तक पिताजी को समर्पित है पिता जी की अभिरुचि काव्य सृजन में रही थी। अपने समय की दो कविताएं ‘हिन्दुस्तान हमारा है’ और ‘हिन्द का कैसे हो उत्थान’ अप्रकाशित रचनाएं थी। पिताजी की रचनाओं को प्रकाशित करने का मन किया, उन्हीं दो रचनाओं में से एक इस पुस्तक का शीर्षक है और ये पुस्तक आप सभी पाठकों श्रोतागणों के समक्ष प्रस्तुत है। मैं तनीशा पब्लिशर्स व प्राची डिजिटल पब्लिकेशन समूह जुड़े सभी सदस्यों का सहृदय आभार सहित धन्यवाद करता हूँ, जिन्होंने मेरे सपने को सच करने और पिताजी की रचनाओं को पुस्तक का रुप प्रदान करने में मदद की। यह पुस्तक पिताजी को समर्पित है इस पुस्तक में आप को समाज के विभिन्न चित्रों को कविता के माध्यम से दिखाने की कोशिश है।
AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?
Sushil Mishra : पिता जी के बाद यदि कोई पिता की भूमिका निभाता है, कदम- कदम पर सही ग़लत में फर्क बताता है और जीवन पथ पर आगे बढ़ने और असफल होने पर सम्भाल लेने वाला कोई है तो वो आप का बड़ा भाई होता है। मेरे बड़े भैया आदरणीय श्री दुर्गा प्रसाद मिश्रा जी मुझे लिखने को प्रेरित करते रहे और पुस्तक प्रकाशित करने के विचार को सुदृढ़ किया। इस पुस्तक को प्रकाशित करने की प्रेरणा मुझे मेरे बड़े भैया से मिली।
AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?
Sushil Mishra : पुस्तक पिताजी को समर्पित है, इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखा गया कि किन रचनाओं को संग्रह में प्रकाशित करना है, क्योंकि मैं विभिन्न विषयों पर काव्य लिखता हूँ तो निणर्य करना मुश्किल था, कौन सी रचना का चयन ‘हिन्दुस्तान हमारा है’ संकलन के लिए किया जाए, क्योंकि पिताजी की रचना ‘हिन्दुस्तान हमारा है’ एक उत्कृष्ट रचना है, जिसमें धर्म समाज विरासत और ओज का एकीकरण है। एक ही कविता में समग्र था, तो मेरी कविता भी उसी समग्रता एकीकरण को लेकर चलने की रही। इस काव्य संग्रह में रचनाएं पाठकों को धार्मिक, सामाजिक एवं जीवन में हार ना मान कर आगे बढ़ने को प्रेरित करती हुई रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी ।
AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?
Sushil Mishra : मेरी सबसे अच्छी रचनाओ में से एक रचना है, वर्ष 2022 नवांकुर सजृन साहित्य महोत्सव माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश की जिसने मुझे सुशील मिश्रा से सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) बनाया। कविता थी रण जो माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश में श्रोताओं को मंच से सुनाई थी। वहीं से साहित्य जगत की ओर रुचि बढ़ने लगी और आज मैं आप लोगों के बीच हूँ।
AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?
Sushil Mishra : साहित्य के सफर में पाठक वर्ग, मित्र मंडली एवं पारिवारिक सदस्यों से रण कविता पर सब से ज्यादा प्रतिक्रिया मिली।
AuthorsWiki : किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?
Sushil Mishra : बिना गुरू के ज्ञान नहीं होता और जीवन पथ पर हमारी क्षमताओं से हमें अवगत माता-पिता के बाद गुरू ही कराते हैं। मैं अपने आप को सौभाग्यशाली समझता हूं कि मेरे सर पर हमेशा मेरे गुरू आदरणीय डॉ. अनंत कुमार सक्सेना जी का आशीष स्नेह हाथ रहा, जिन्होंने मेरी क्षमताओं से मुझे अवगत कराया। परिवार से मित्र मंडल से अपने राष्ट्रीय सेवा योजना परिवार से मेरे विद्यार्थियों सहकर्मियों से सभी से सुशील मिश्रा से सुशील मिश्रा क्षितिज राज बनने की यात्रा में सहयोग दिया हैं। मैं सभी का इस मंच से हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।
AuthorsWiki : साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?
Sushil Mishra : साहित्य जगत में अभी तो शुरुआत की है, ज्यादा उपलब्धियां नहीं है। कविता में मुझे सबसे पहले माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल मध्य प्रदेश नवांकुर सजृन साहित्य महोत्सव में प्रशस्ति पत्र 2022 में मिला। 2022 में ही शब्द.इन ने मेरी कविता जल पर बेस्ट आर्टिकल राइटर का प्रमाणपत्र दिया और 2023 में राष्ट्रीय प्रतिभा पुरस्कार मिला है जो मुझे Worthy Wellness Foundation (Regd.) Lucknow, Uttar Pradesh ने दिया। अनादि पुस्तक के लिए पुस्तक प्रकाशित करवाने का प्रमाण मिला है और ये क्रम आगे भी चलते रहेंगे।
AuthorsWiki : आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?
Sushil Mishra : यहां मैं बताना चाहता हूं कि मेरी लिखने की कोई विशेष विधा नहीं है, लेकिन मुझे प्रकृति, प्रेम पर लिखना पसंद है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से समाज के मुद्दों पर लिखने का प्रयास कर रहा हूं। मेरी पहली कविता धर्म पर थी रण पाठकों से निवेदन है कि इस कविता पर अपने विचार जरूर दें। इस संग्रह में मैंने धर्म, देश, प्रेम और समाज के मुद्दों पर लिखने का प्रयास किया है। ये मेरी अपनी कल्पना है, अगर पाठक अपने आप को इससे जुड़ा हुआ मानते हैं तो मेरा लिखना सार्थक हो जाएगा।
AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?
Sushil Mishra : दिन की कार्य व्यस्तता में तो ये सम्भव नहीं है इसलिए रात में लिखने कि कोशिश करता हूं और यहां पाठकों एवं श्रोताओं को बताना चाहुंगा कि मेरी प्रत्येक कविता एक बार में ही लिखी गई है। विचारों का क्रम निरंतर चलता रहता है और शब्द स्वयं पंक्तियों में बदलने लगते हैं। मेरी कविता की खासियत यही है कि ये वन टाइम राइटिंग है। अधिकतर अतुकांत कविता है और मन के भाव है आप अपने आप को कविता से जुड़ा हुआ पाएंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
AuthorsWiki : आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?
Sushil Mishra : मेरी प्रेरणा मेरे पिताजी थे जिन्होंने ने समाज के दर्पण को समझना सिखाया। अपने विचारों को भावों को लेखनी में पिरोना सिखाया। मेरे पिता जी से प्रेरणा मिली और हर व्यक्ति पर समाज और समाज में घटित घटनाओं का प्रभाव भी होता है मेरी रचनाओं पर भी समाज और समाज में घटित घटनाओं का प्रभाव है जो विभिन्न रचनाओं में पाठकों को देखने को मिलेगा समाज को मैंने अपनी दृष्टि से देखा और जो भाव उत्पन्न हुए वहीं काव्य के रुप में श्रोताओं एवं पाठकों के समक्ष है।
AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?
Sushil Mishra : दो घटनाएं है, राष्ट्रीय सेवा योजना परिवार का राज्य स्तरीय शिविर नरसिंहपुर झोतेश्वर राज्य स्तरीय शिविर 2020, जिसमें लगभग 700 राष्ट्रीय सेवा योजना परिवार के विद्यार्थियों अधिकारीओ के बीच अपना काव्य पाठ करना ओर 2022 नवांकुर सजृन साहित्य महोत्सव माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय मध्यप्रदेश में पहली बार कवि के रुप में एक प्लेटफार्म से रुबरु होना मेरे लिए बहुत ही खास था। दोनों ही जगह पर दशकों की प्रतिक्रिया ने मुझे काव्य जगत की ओर मोड़ दिया।
AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?
Sushil Mishra : मेरे लेखन के लिए मैं अपने पिताजी को ही अपना आइडियल मानता हूं। जिन्होंने काव्य सृजन से अवगत कराया। मैंने बचपन में भवानी प्रसाद मिश्र की सतपुड़ा के घने जंगल पढ़ी है और रामधारी दिनकर जी की रश्मि रथी कविताएं पढ़ी है, जिनसे मैं प्रभावित रहा हूं। काव्य लेखन करते समय आजकल समाज के विभिन्न मुद्दों को लिखने का प्रयास कर रहा हूं।
AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Sushil Mishra : मैं इतना बड़ा नहीं हूं कि अभी इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने विचार दे सकूं। लेकिन मेरा प्रयास रहेगा कि हिन्दी साहित्य के उत्थान में अपना योगदान दे सकूं।
AuthorsWiki : साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?
Sushil Mishra : साहित्य सृजन के अलावा मुझे मूवीज देखना, पुराने गाने सुनना, क्रिकेट खेलना, शतरंज और बैडमिंटन खेलना पसंद है। प्राकृतिक जगह जैसे नदी पहाड़ किले घूमना पसंद है!
AuthorsWiki : क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
Sushil Mishra : कविता से एक लगाव सा हो गया है। इसमें कम शब्दों में बहुत कुछ बयां किया जा सकता है। भविष्य में भी कुछ बेहतर रचनाओं का संग्रह पाठकों को पढ़ने को मिलेंगी। उसका विषय अभी नहीं बता सकता क्योंकि बहुत सारे विषय है, लेकिन सम्भवतः प्रेम और समाज पर आप को अगला काव्य संग्रह मिलेगा।
AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?
Sushil Mishra : साहित्य की दुनिया बहुत खुबसूरत है। इसमें नये लेखकों का स्वागत है और अपने सृजन से साहित्य जगत को शिखर तक ले कर जाए। अपने आप को पहले समझे साहित्य को पढ़ें।
AuthorsWiki : यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?
Sushil Mishra : पुस्तक प्रकाशन प्रोसेस के दौरान बहुत ही रोचक अनुभव रहे हैं, जिसमें तनीशा पब्लिशर्स से वर्षा यादव जी का विशेष धन्यवाद करना चाहूंगा। जिन्होंने मेरे बार-बार के सुधारों को समझा और मेरी पुस्तक को लेकर भावनात्मक पहलू को समझते हुए पांडुलिपी को पुस्तक का रूप दिया। कहने को बहुत कुछ है, प्रकाशन की पूरी टीम ने मेरे सपने को पूरा करने में मदद की है, इसलिए सभी को विशेष रूप से आभार। आशा है कि आगे भी हम जुड़े रहेंगे। अपना प्यार स्नेह आशीष एवं मार्गदर्शन सदैव यूं ही बनाए रखें। बहुत कुछ आने वाला है और अभी यात्रा की शुरुआत है मेरी। अपना प्यार बनाए रखें और आप सभी का सहृदय आभार सहित धन्यवाद।
लेखक की पुस्तक खरीदें-
आप सुशील मिश्रा जी की पुस्तक ‘हिन्दुस्तार हमारा है’ को अपने पसंदीदा ऑनलाइन स्टोर अमेजन या फ्लिपकार्ट से मंगा सकते हैं। किताब को खरीदने के लिए लिंक नीचे दिए गए हैं।
यदि आप लेखक की किताब को पढ़ चुकें हैं तो अपनी प्रतिक्रिया या विचारों को कमेंट करके जरूर शेयर करें।
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बहुत् जबरदस्त काव्य संग्रह अपनी संस्कृति और देश से जुड़े भावों को अपनी व्यस्ततम जीवनशैली मे जीवित रखने का जरिया है, इसके लिए श्री सुशील मिश्रा (क्षितिज राज) का आभार 👌
बहुत शानदार किताब है बधाई हो मिश्रा जी
सहृदय धन्यवाद आपका
मिश्रा जी बधाई हो आप की पुस्तक बहुत अच्छी है मुझे पिताजी के ऊपर जो कविता लिखी है वो बहुत ही प्यारी लगी है आशा है आगे भी हम आपकी रचनाओं को पड़ेंगे