परवाना रिहाई का काव्य संग्रह के लेखक नगेन्द्र प्रतिहार जी से साक्षात्कार

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Interview with nagendra pratihar

AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए नगेन्द्र सिंह परिहार जी आपका धन्यवाद करते हैं। नगेन्द्र सिंह परिहार जी साहित्यिक उपनाम ‘नगेन्द्र प्रतिहार’ के नाम से लेखन कार्य करते है। लेखक पेशे से एक इंजीनियर हैं और जिला सतना मध्यप्रदेश के गोरैया नामक गाँव रहने वाले हैं। AuthorsWiki को दिए गए साक्षात्कार में नगेन्द्र प्रतिहार जी ने अपनी साहित्यिक यात्रा को हमारे साथ शेयर किया। आशा करते हैं कि पाठकों को नगेन्द्र प्रतिहार जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-

AuthorsWiki : आपकी पुस्तक ‘परवाना रिहाई का’ पिछले दिनों ही प्रकाशित हुई है, उसके बारे में जानकारी दे, ताकि पाठक आपकी किताब के बारे में ज्यादा जान सकें?

नगेन्द्र प्रतिहार : “परवाना रिहाई का” कविता संग्रह में कारागार में परिरुद्ध लाखों निर्दोष कैदियों के मनोभावों को, उनकी अंतर्व्यथा और पीड़ा को व्यक्त करती छोटी छोटी कविताओं को संग्रहित किया गया है। इस संग्रह की रचना के उपरांत मेरे मन मे विचार आया कि कारावासित व्यक्ति को समाज सदैव त्याज्य समझ हेय दृष्टि से देखता है, पता नहीं परिस्थितियों के मारे नियतिवश कारागार में परिरुद्ध कर दिए गए ऐसे निर्दोष कैदियों के सम्बंध में लिखी रचनाओं को कोई पढ़ेगा भी या नहीं। उहापोह के मध्य फिर मैंने इसे प्रकाशित करवाने के लिए भेज ही दिया।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, पुस्तक प्रकाशित कराने का विचार कैसे बना या किसी ने प्रेरणा दी?

नगेन्द्र प्रतिहार : मेरा संपर्क वर्ष 2016 में सतना के मूर्धन्य साहित्यकार श्री अनूप अशेष जी से हुआ था, तभी से मैं पुस्तक प्रकाशित करवाने के लिए प्रयासरत था। फिर तनीशा पब्लिशर्स की जानकारी हुई और मैंने अपना संग्रह उन्हें भेजा। उन्होंने कुछ ही समय मे इसे प्रकाशित करके पाठकों के समक्ष उपलब्ध करवा दिया।

AuthorsWiki : पुस्तक के लिए रचनाओं के चयन से लेकर प्रकाशन प्रक्रिया तक के अनुभव को पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगें?

नगेन्द्र प्रतिहार : विषय पूर्व निर्धारित था। इसलिए रचनाओं का अलग से चयन नहीं करना पड़ा। परवाना रिहाई का नाम से कैदियों के मनोभवों को व्यक्त करती कविताएं इसमें लिखता रहा। पुस्तक प्रकाशित करवाने का जब मन में विचार आया, दैवयोग से तभी तनीशा पब्लिशर्स, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड के संपर्क में आया। इन्होंने तत्परता से मुझे पहले प्रूफ जांचने के लिए भेज दिया। मेरे सुझावों और सुधारों पर त्वरित कार्य करते हुए। इन्होंने लगभग 40 दिनों में मुझे पुस्तक उपलब्ध करवा दी। प्रकाशक का कार्य व्यवहार बहुत उत्तम कोटि का रहा। मैं शीघ्र इनके पास अपना एक कहानी संग्रह भी प्रकाशनार्थ भेजने वाला हूँ।

AuthorsWiki : आपकी अब तक कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, क्या आप हमारे पाठकों को उनकी जानकारी देना चाहेंगें?

नगेन्द्र प्रतिहार : अवश्य। 2012 में ब्रह्मलीन हुए अपने गुरु प्रातः स्मरणीय महाराज डॉ विश्वामित्र जी के आशीर्वाद से 2010 में पहली पुस्तक राम राम जपो कट जाएगी चौरासी का प्रकाशन हुआ।

पहला उपन्यास “पाखण्डी” नाम से प्रकाशित हुआ था। उसमें आशाराम, नित्यानंद, इक्षाधारी बाबाओं जैसे पाखंडियों के चाल चरित्र और समाज मे उनके प्रतिष्ठित होने की जीवंत कथा है।

दूसरा उपन्यास “शिक्षक की प्रेम कथा और मेघा” नाम से प्रकाशित हुआ। इसमें युवा शिक्षक की प्रेरणादायक कथा है।

तीसरा उपन्यास “नियति” है। इसमें पूर्वांचल और बिहार में होने वाले ऐसे विवाह की कथा है, जिसमे लड़के का अपहरण करके बल पूर्वक उसका विवाह कर दिया जाता है। यह मेरे सर्वश्रेष्ठ उपन्यासों में एक है।

चौथा उपन्यास “हतभगिता” नाम से प्रकाशित हुआ। इसमें कारागार में परिरुद्ध एक कैदी की नव विवाहिता पत्नी से कारागार के प्रहरियों द्वारा किये गए दुष्कर्म की कथा का वर्णन है। इसके बाद दो कहानी संग्रह “तिरिया चरित्र” और “हदस” प्रकाशित हुए। तदन्तर पहला कविता संग्रह “परवाना रिहाई का” प्रकाशित हुआ।

AuthorsWiki : आपकी पहली सृजित रचना कौन-सी है और साहित्य जगत में आगमन कैसे हुआ, इसके बारे में बताएं?

नगेन्द्र प्रतिहार : मेरा पहला सृजन अभी भी अप्रकाशित है। वह प्रेम और श्रृंगार परक कविताओं का संग्रह है। मैं लेखन उस समय से कर रहा था, जब मैं कक्षा ग्यारह का विद्यार्थी था। मैं नाटक लिखा करता था, फिर उन्ही दिनों कविताएं लिखने लगा। धीरे धीरे उपन्यास और कहानी लेखन भी प्रारम्भ कर दिया।

AuthorsWiki : अब तक के साहित्यिक सफर में ऐसी रचना कौन सी है, जिसे पाठकवर्ग, मित्रमंडली एवं पारिवारिक सदस्यों की सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया प्राप्त हुई?

नगेन्द्र प्रतिहार : पाखण्डी और नियति उपन्यास और कविता संग्रह परवाना रिहाई का में मित्रों पाठकों की सबसे अधिक प्रतिक्रिया आई है। उपन्यास पाखण्डी तो ऐसा है कि यदि आपने दो पृष्ठ पढ़ लिए तो फिर पूर्ण किये बिना उसे नहीं रख पाएंगे।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, किताब लिखने या साहित्य सृजन के दौरान आपके मित्र या परिवार या अन्य में सबसे ज्यादा सहयोग किससे प्राप्त होता है?

नगेन्द्र प्रतिहार : पिता जी श्री नरेन्द्र सिंह की पाठकीय प्रतिक्रिया सबसे पहले आती है।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, साहित्य जगत से अब तक आपको कितनी उपलब्धियाँ / सम्मान प्राप्त हो चुके हैं? क्या उनकी जानकारी देना चाहेंगें?

नगेन्द्र प्रतिहार : काव्योन्नति साहित्य सम्मान 2022, के साथ कुछ अन्य और साहित्य सम्मान प्राप्त हुए हैं। मेरी सम्पूर्ण रचनाएं 2021 से ही प्रकाशित हुई हैं, इसलिए पाठकीय प्रतिक्रियाएं अब आनी प्रारम्भ हुई हैं।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, आप सबसे ज्यादा लेखन किस विद्या में करतें है? और क्या इस विद्या में लिखना आसान है?

नगेन्द्र प्रतिहार : मैं उपन्यास, कहानी और कविताएं तीनो ही बराबर लिखता हूँ। मुझे साहित्य की तीनो विधाओं का लेखन सहज लगता है।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, आप साहित्य सृजन के लिए समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

नगेन्द्र प्रतिहार : मैं पेशे से इंजीनियर और संविदाकार हूँ। इसलिए समय की अनुपलब्धता ही रहती है। जब भी समय मिलता है, मैं लिखने बैठ जाता हूँ।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, आप अपनी रचनाओं के लिए प्रेरणा कहां से प्राप्त करते है?

नगेन्द्र प्रतिहार : समाज की किसी भी गतिविधि और घटना को मैं अपनी पैनी संधानी नजरों से निहारता हूँ।

AuthorsWiki : आपके जीवन में प्राप्त विशेष उपलब्धि या यादगार घटना, जिसे आप हमारे पाठकों के साथ भी शेयर करना चाहते हैं?

नगेन्द्र प्रतिहार : मैं मंचीय कवि नहीं हूं। मंच में खड़े होने का समय मुझे अभी तक नहीं प्राप्त हुआ। यदि मंच पर चढ़ता तो उपलब्धियों की बहार होती। साहित्य जगत में मंचीय कवि दो चार कविताएं लिखकर भी प्रसिद्धी को प्राप्त कर जाते हैं।

AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना पसंद करते हैं?

नगेन्द्र प्रतिहार : रवींद्रनाथ ठाकुर और शरतचंद्र

AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

नगेन्द्र प्रतिहार : हिन्दी भाषा से अधिक साहित्य सृजन और किसी भाषा मे नहीं हो रहा। परंतु समाज मे अंग्रेजियत का भूत सवार है। सोशल मीडिया के उत्थान के उपरांत हिंदी साहित्य के पाठकों का दायरा और सिमट कर रह गया है।
हिंदी हमारी मातृ भाषा है। बच्चों को यदि हम प्रारंभिक शिक्षा ही दी में दे पाएंगे तो हिंदी का मान बढ़ेगा और उसका उत्थान अवश्य होगा।

AuthorsWiki :साहित्य सृजन के अलावा अन्य शौक या हॉबी, जिन्हे आप खाली समय में करना पसंद करते हैं?

नगेन्द्र प्रतिहार : मैं भजन और फिल्मी गीत भी गाया करता हूँ।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, क्या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?

नगेन्द्र प्रतिहार : शीघ्र ही एक कहानी संग्रह और दो कविता संग्रह प्रकाशित करवाने की योजना है।

AuthorsWiki : साहित्य की दुनिया में नये-नये लेखक आ रहे है, उन्हें आप क्या सलाह देगें?

नगेन्द्र प्रतिहार : लेखन के लिए ज्वलंत विषयों का चयन करें।

AuthorsWiki : नगेन्द्र प्रतिहार जी, यह अंतिम प्रश्न है, आप अपने अज़ीज शुभचिन्तकों, पाठकों और प्रशंसकों के लिए क्या संदेश देना चाहते हैं?

नगेन्द्र प्रतिहार : मेरी रचनाओं को अवश्य पढ़ें। सभी विभ्रातक़ विषयों पर लिखी गयी हैं। पढ़ने के पश्चात मुझे समालोचनात्मक प्रतिक्रिया भी प्रेषित करें।

लेखक की सभी किताबों की जानकारी – All Books by Nagendra Pratihar

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