उत्तर प्रदेश, गोण्डा से साहित्यकार रोहिणी नंदन मिश्रा जी से साक्षात्कार

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पिछले दिनों AuthorsWiki टीम को उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले से साहित्यकार रोहिणी नंदन मिश्रा जी का साक्षात्कार प्राप्त हुआ है। AuthorsWiki को साक्षात्कार के लिए अपना कीमती समय देने के लिए हम रोहिणी नंदन मिश्रा जी का धन्यवाद करते हैं। लेखक की पहली पुस्तक ‘अँखुआ’ प्रकाशित हुई है और साक्षात्कार में लेखक ने अपनी साहित्यिक यात्रा के बारे में बताया है। आशा करते हैं कि पाठकों को रोहिणी नंदन मिश्रा जी का साक्षात्कार पसंद आएगा। साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश आपके लिए प्रस्तुत हैं-

AuthorsWiki : कृपया संक्षेप में अपने शब्दों में अपना परिचय दें?

Rohini Nandan Mishra : मेरा मूल नाम रोहिणी नन्दन मिश्र है, और साहित्यिक नाम साहित्यिक नाम नंदन पंडित (अभी जल्द से) है। वर्तमान में मेरा निवास गोण्डा, उत्तर प्रदेश में है और अध्यापन क्षेत्र में कार्यरत हूँ।

AuthorsWiki : क्या आप अपनी प्रकाशित पुस्तकों के बारे में बताना चाहेंगे?

Rohini Nandan Mishra : कई साझा संकलनों के बाद, अभी जल्द ही मेरी प्रथम पुस्तक “अँखुआ” प्रकाशित हुई है, जो कि एक गीत संग्रह है। इसमें जीवन के विविध पहलुओं को छूते हुए कुल साठ गीत हैं।

AuthorsWiki : पुस्तक प्रकाशन के लिए विचार कैसे बना या कैसे प्रेरित हुए?

Rohini Nandan Mishra : बहुत दिनों से अपनी पुस्तक का सपना था। बस नवंबर 2021 में एकाएक योजना बनी और परिणित में “अँखुआ” अंकुरित हो गया।

AuthorsWiki : आपकी पसंदीदा लेखन विधि क्या है, जिसमें आप सबसे अधिक लेखन करते हैं?

Rohini Nandan Mishra : गीत। वैसे मैं गज़ल, दोहा, कुण्डलिया, सवैया, कह मुकरी, नई कविता, कहानी, लघुकथा, एकांकी, संस्मरण आदि भी लिखता रहता हूँ।

AuthorsWiki : किसी भी लेखक या लेखिका के लिए पहली प्रकाशित पुस्तक बहुत ही मायने रखती है और उसके प्रकाशन का अनुभव बहुत खास होता है। क्या आप प्रथम प्रकाशन के उस अनुभव को हमारे पाठकों के बीच साझा करेंगे?

Rohini Nandan Mishra : मन में तमाम बातें थी, मसलन शीर्षक क्या रखा जाए? कवर पेज व डिजाइन कैसा होगा? लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी? आदि-आदि। कुलमिलाकर “अँखुआ” जब हाथ में आई, तो अकथनीय प्रसन्नता हुई। वैसे सेल्फ पब्लिशिंग प्रकाशक भी बड़े नाम को अधिक तवज्जो देते हैं।

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AuthorsWiki : आप साहित्य सृजन कब से कर रहें हैं, अब तक अर्जित उपलब्धियों की जानकारी देना चाहेंगे?

Rohini Nandan Mishra : सन् 1998 (दसवीं कक्षा) से, 2002 में मेरी कई कहानी व कविताएँ प्रकाशित हुई। मेरी पहली कहानी “बंजारिन” आदरणीय परवंत सिंह ‘मैहरी’ के सम्पादन में कोलकाता से मासिक निकलने वाली ‘प्रिया विनोदनी’ में प्रकाशित हुई। पढ़ाई और आर्थिक विवशताओं के कारण फिर साहित्य सृजन रोक देना पड़ा। लॉकडाउन के दौरान जुलाई 2020 में लेखनी पुनः जाग उठी, तब से सृजन निर्बाध जारी है।

AuthorsWiki : क्या वर्तमान या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं?

Rohini Nandan Mishra : निकट भविष्य में एक कहानी संग्रह व बाल कविता संग्रह की योजना है।

AuthorsWiki : हर लेखक का अपना कोई आईडियल होता है, क्या आपका भी कोई आईडियल लेखक या लेखिका हैं? और आपकी पसंदीदा किताबें जिन्हें आप हमेशा पढ़ना चाहेंगें?

Rohini Nandan Mishra : गद्य में प्रेमचंद हैं और पद्य में अब तक किसी एक का नहीं हो सका।

AuthorsWiki : आपके जीवन की कोई ऐसी प्रेरक घटना जिसे आप हमारे पाठकों के साथ साझा करना चाहेंगे?

Rohini Nandan Mishra : कई घटनाएँ हैं क्योंकि घटनाओं से ही जीवन गढ़ता है। फिर भी बचपन में एक बार मैं अपने सड़क किनारे वाले मटर के खेत में चिड़ियाँ भगा रहा था, तभी सड़क पर हैट लगाए, एक साइकिल सवार लड़का गुजरा। बाल स्वभाववश मैं उसे ‘टोपी वाला’ कहकर चिढ़ाने लगा। अप्रत्याशित रूप से उसने साइकिल रोक दी। हम दोनों में काफी देर तक वाकयुद्ध हुआ। फिर गाँव का एक आदमी उधर आया। सारी वस्तुस्थिति जानकर उसने मुझसे कहा, “पंडित?.. तुम??” उसके इन दो शब्दों से मेरा सिर झुक गया। उस रात मैं आत्मग्लानि में सो न सका। तब से आज तक शायद ही कभी मैंने किसी को अकारण कुछ कहा होगा!

यह भी पढ़ें – लेखकों के बीच पुस्तक प्रकाशन को लेकर कुछ गलत धारणाएं और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ

AuthorsWiki : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?

Rohini Nandan Mishra : हिन्दी भाषा के उत्थान के लिए आवश्यक है कि आमजन स्तरीय साहित्य का अधिकाधिक सृजन कर उसे सुलभ बनाया जाए। एक बार हिन्दी भाषा का पर्याप्त प्रसार हो जाने पर विशुद्ध साहित्यिक सृजन तो स्वतः होने लगेगा।

AuthorsWiki : क्या आप भविष्य में भी लेखन की दुनिया में बने रहना चाहेंगे?

Rohini Nandan Mishra : हाँ, निःसंदेह, माँ वीणापाणि व पाठकों ने चाहा तो अवश्य।

AuthorsWiki : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?

Rohini Nandan Mishra : माना कि जीवन में आपाधापी बहुत है तथापि अच्छे साहित्य पढ़ते रहना चाहिए क्योंकि साहित्य से मन, हृदय व आत्मा स्वतः परिष्कृत होता रहता है।

लेखक रोहिणी नंदन मिश्रा जी की पुस्तक ‘अँखुआ’ को अमेजन से प्राप्त कर सकते हैं-

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